सामूहिक विवाह समारोह
“दहेज लेना और दहेज देना कानूनी अपराध है। इस कुरीति के चलते कई निर्धन परिवार की बेटियों के हाथ पीले नहीं हो पाते हैं, जिसके चलते निर्धन परिवार के माँ-बाप दलालों के चक्कर में पड़कर अपनी बेटियों की शादी दूसरे शहरों में अयोग्य वर से कर देते हैं और इसके बदले उन्हे पैसे भी मिलते हैं। दूसरे शब्दों में कहे तो वो माँ-बाप अपनी बेटियों को गरीबी के कारण बेच देते हैं। अधिकतर इस प्रकार के शादियों में बेटियों के साथ गंभीर अपराध भी होते हैं। इस अपराध को समाप्त करने और निर्धन कन्यायों का घर बसाने के लिए संभ्रांत लोगों को आगे आना होगा। इसी उद्देश्य से प्रगति पथ ने लगभग 100 निर्धन कन्याओं का सामूहिक विवाह कराने का निर्णय लिया है। हम बेटियों के प्रति संवेदनशील व्यक्तियों से निवेदन करते हैं कि वो इस नेक अभियान में अपना बहुमूल्य सहयोग प्रदान कर कन्यादान के पुण्य व निर्धन बेटियों का आशीर्वाद प्राप्त करें।“
प्रगति पथ फ़ाउंडेशन ट्रस्ट एक गैर राजनैतिक, अलाभकारी संगठन है। प्रगति पथ फ़ाउंडेशन महिलाओं को समाज में समानता का अधिकार दिलाने, उनकी पहञ्चान और सम्मान को बनाए रखने, उनको आत्मनिर्भर बनाने, उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने और उनके लिए भयमुक्त और उनके योग्य वातावरण बनाए रखने का प्रयास कर रही है।
सामूहिक विवाह का उद्देश्य:
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प्रगति पथ फ़ाउंडेशन का नारा है ‘तिलक नहीं दहेज नहीं, शादी कोई व्यापार नहीं, खरीदा हुआ जीवन लड़की को स्वीकार नहीं’। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुये और श्री रवि मौर्य की प्रेरणा से संस्था द्वारा निर्धारित गाँवों से ऐसे निर्धन परिवार जिनकी आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर है, जो अपने बच्चों को पढ़ाने तथा बेटियों की शादी विवाह करने में असमर्थ हैं, ऐसे परिवारों की लड़कियों की शादी करा कर उन्हे सम्मानजनक जीवन प्रदान करना है।
जोड़ों की चयन प्रक्रिया:
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संस्था का लक्ष्य 100 निर्धन परिवार की बेटियों का सामूहिक विवाह कराना है। इसके लिए संस्था के कार्यकर्ता रवि मौर्य के नेतृत्व में गाँवों में ग्राम-प्रधानों के सहयोग से ऐसे बेटियों का चयन करेगी जो पारिवारिक स्थिति व आर्थिक रूप से कमजोर हैं, व किसी के माता-पिता नहीं हैं, किसी के पिता नहीं हैं, अपने रिशतेदारों के यहाँ पली-बढ़ी हैं और वो भी उसका विवाह करने में असमर्थ हैं। शादी हेतु लड़की की आयु कम से कम 18 वर्ष और लड़के की आयु 21 वर्ष होना आवश्यक है। इसके लिए अभिभावकों को सभी जरूरी कागजात जैसे आयु-प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण-पत्र तथा मतदाता पहचान पत्र उपलब्ध कराना आवश्यक है। सभी दस्तावेजों का सत्यापन संस्था द्वारा किया जाएगा, उसके बाद उनके शादी का आवेदन पत्र दोनों पक्षों (वर व वधू) के परिवार के समक्ष भरा जाएगा तथा उनसे दहेज रहित विवाह की स्वीकारोक्ति भी ली जाएगी। कन्या पक्ष को विवाह हेतु वर स्वयं खोजना होगा। 31 जुलाई, 2016 तक योग्य जोड़ों का चयन कर देना है।
सामूहिक विवाह समारोह:
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11 नवंबर, 2016 को तुलसी विवाह के दिन यह सामूहिक विवाह प्रस्तावित है, जो चिरईगाँव के सालारपुर गाँव में आयोजित की जाएगी। यह विवाह पूर्णतः धार्मिक रीति रिवाजों एवं परम्पराओं से ऊपर उठकर की जाएगी, जिससे इस विवाह समारोह में सभी धर्मों और संप्रदायों की समान रूप से सहभागिता हो सके।
वर-वधू को उपहार:
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समाज के महान और बेटियों के प्रति संवेदनशील लोगों की सहायता से संस्था द्वारा प्रत्येक जोड़ों को उनके घर-गृहस्थी की आवश्यक वस्तुएं जैसे बर्तन, साइकिल, घड़ी, सिलाई मशीन, बेड, रज़ाई, गद्दा, बक्सा, साड़ी, पंखा, मंगलसूत्र, राशन आदि दिया जाएगा। जिससे उन जोड़ों को अपना नया जीवन प्रारम्भ करने में कठिनाई ना आए।
निवेदन:
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समाज के संभ्रांत, संवेदनशील लोगों से संस्था निवेदन करती है कि हमारे इस अभियान में प्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष रूप से सहयोग प्रदान कर हमारे उत्साह में वृद्धि करें और निर्धन कन्यायों को सम्मानजनक जीवन प्रदान कर पुण्य कार्य में सहभागी बनें। इसके लिए आप अपने आस-पास ऐसे निर्धन परिवारों की कन्याओं को इस सामूहिक विवाह की जानकारी दे कर, हमें उनकी सूचना देकर, आर्थिक या आवश्यक सामाग्री देकर अपना सहयोग कर सकते हैं।
इच्छुक पात्र लाभार्थी को आवेदन करने, सूचना देने या सहयोग करने के लिए संपर्क करें:
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