Saturday, May 14, 2016

अन्धेरे को रोशनी मे बदल दे, उसे कहते है पत्रकार

एक मरता पत्रकार, एक सोचता पत्रकार
एक लिखता पत्रकार, नसीबों पर रोता पत्रकार
एक समाज के दुखो को देखकर जलता पत्रकार
क्या समाज की विसंगतियों को मिटाने की
बदौलत ही इस परिणाम की उम्मीद रखता है
क्या वो अपने आस-पास के माहौल को सुधारने
के चलते ही अपने घरों के चुल्हे बूझा देता है
तुम उसे बिकाऊ कहते हो
तुम उसे दलाल कहते हो
लेकिन वो सचेत है और सचेत रहेगा
तुम्हें सदा तुम्हारा भयानक चेहरा आईने में दिखाता रहेगा
उसके जलते शरीर से तुम्हे गंध आती है
उसके मरते वक़्त तुम्हें केवल खब़रें सुहाती हैं
तुम घर में बैठकर अकुलाते हो
लेकिन वो मरता जाता है
या मरने की राह पर चलता जाता है...
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आम जनता की आवाज है पत्रकार,
मानव समाज की शान है पत्रकार,
अन्धेरे को रोशनी मे बदल दे, उसे कहते है पत्रकार,
जनता की खबर सरकार को दे,उसे कहते है पत्रकार,
अपराधो, भ्रष्टाचार,अन्याय,अत्याचार,शोषण आदि
की आवाज उठने वाले को कहते है पत्रकार,
अपनी समस्याओ और सुख चैन को त्याग कर,
दुसरो के समस्याओ और सुख चैन के लिये
लिखने वाले को कहते है पत्रकार,
जान हथेली पर रखकर माफिया का पर्दापाश करे
उसे कहते है पत्रकार.......................l l
धरा बेच देते और गगन बेच देते,
अमन के पुजारी, चमन बेच देते,
यदि होते ना कलम के पुजारी तो,
ये राजनेता अपना वतन बेच देते।

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