Saturday, May 7, 2016

साक्षात्‍कार

सृष्टि की यदि एक शब्द में व्याख्या करनी हो, तो वो शब्द होगा “माँ”. वास्तव में ईश्वर ने स्त्रियों को सर्वशक्तिवान बनाया है l बहन, बेटी, पत्नी और माँ की जिम्मेदारियां तो नारी सदियों से बखूबी निभा रही है, किन्तु आधुनिक नारी ने अपने अन्दर छिपी अन्य प्रतिभाओं को विशेष आकार और  प्रकार दे कर दुनिया को हैरान कर  दिया है । आज कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जहाँ नारी ने अपनी शक्तियों और असीमित प्रतिभाओं के दम पर अपना पाँव नहीं जमाया है। ऐसे ही आधुनिक जगत की एक सफल नारी हैं प्रियंका झा जिन्होंने किसी एक क्षेत्र में नहीं वरन अनेक और विविध क्षेत्रों में अपना और अपने देश का नाम ऊँचा किया है। प्रियंका जी के अनुसार अभी तक उन्होंने शादी नही की और अपने करियर पर ही ध्यान केंद्रित किया और सफलता हासिल की, अभी भी वह अच्छे जीवन साथी की तलाश पर लगी हुई है।उनसे लिए गए साक्षात्कार के कुछ अंश प्रस्तुत हैं।
नवीन: प्रियंका, आप अपनी शिक्षा के बारे में कुछ बताइए।
प्रियंका: वैसे तो बेसिकली में एक इंजीनियर हूँ,  पर इंजीनियरिंग की पढ़ाई ख़त्म होते होते मुझे  महसूस हुआ कि यह मेरा पैशन नहीं है। मुझे लोगों से मिलना, इंटरैक्ट करना बहुत अच्छा लगता है। आप जितने भी लोगों से मिलो हर एक की अपनी कहानी होती है, अपना अनुभव होता है जो आपके अनुभव में भी कुछ न कुछ ऐड करता है।
नवीन: आपके परिवार की और से आपको स्पोर्ट किस तरह मिलता है।
प्रियंका: परिवार वालो का साथ और सहयोग हमेशा हमारे साथ रहता है जैसे की मेने पहले बताया पापा आर्मी के उच्च पद से रिटायर हुए और माँ भी इंग्लिश की सीनियर टीचर रह चूँकि जो की अब लखनऊ में है।
नवीन: आप फैशन इंडस्ट्री से कैसे जुड़ीं और पेज ३ सेलेब्रिटी बनी, इसके बारे में कुछ प्रकाश डालें।
प्रियंका: फैशन इंडस्ट्री में जाना  मेरा लोगों से मिलने ओर लोगों को समझने का रुझान ही था। इसकी वजह से ही मैंने फैशन इंडस्ट्री को अपना कार्यक्षेत्र बनाया।  मैं मिस इंडिया के टॉप ५ कंटेस्टेंट में रह चुकी हूँ, एयर इंडिया की ब्रांड एम्बेसडर भी रह चुकी हूँ। आप कह सकते हैं कि मेरे पब्लिक इंटरेक्शन के पैशन ने मुझे मेरी डेस्टिनी तक पहुँचाया।
नवीन: हमने सुना है कि आप नेचुरोपैथी से भी जुड़ी हैं । इस तरफ कैसे और क्यूँ आपका रुझान हुआ?
प्रियंका: मैं अपनी लाइफ में हर बार कुछ नए चैलेंज ढूँढती हूँ. हर बार कुछ नया करने की कोशिश रहती है और  इसी वजह से मेरा झुकाव नेचुरोपैथी ओर योग की तरफ हुआ। देश विदेश की यात्रा करते हुए मुझे अहसास हुआ कि बाहर के लोगों का इस तरफ बहुत रुझान है। हालाँकि योग हमारे देश की ही देन है। किन्तु ये दुःख की बात है कि जब तक बाहर का कोई देश हमेँ किसी चीज़ की अहमियत नहीं बताता , हम उस को अपनाते नहीं हैं। आज हम जैसी भागदौड़ की जिंदगी जी रहे हैं, उस को देखते हुए मुझे लगा कि योग आज की जरूरत बन चुका है तभी मैंने निर्णय किया कि मुझे योग इंस्ट्रक्टर बनना है। तब २०१० में मैंने केरल के शिवानन्द आश्रम में रह कर ट्रेनिंग ली और सर्टिफिकेट लिया। फिर मैं लन्दन चली गयी ओर वहां शिवानन्द जी के आश्रम में योग इंस्ट्रक्टर बन गयी। वहीँ लन्दन में रहते हुए  मैंने अपना सात्विक फ़ूड का बिज़नस शुरू किया। कुछ साल वहां बिताने के बाद मुझे अहसास हुआ कि अभी मुझे इस के बारे में काफी कुछ सिखाना ओर सीखना बाकी है और  मैं वापस इंडिया आ गयी।
नवीन: आपने जो कुछ भी आज तक हासिल किया है उस में आपके परिवार की क्या भूमिका रही है?
प्रियंका: मेरे परिवार ने खास तौर पर मेरे पापा ने मेरे हर निर्णय में मेरा साथ दिया है। उन्हें मुझ पर पूरा विश्वास है कि मैं जो कुछ भी करूंगी वो गलत नहीं होगा।  मेरे संस्कार मेरे पापा की ही देन है।
नवीन: इतनी कम उम्र में ही आपने बहुत कुछ हासिल कर लिया है, तो आप कुछ कहना चाहती हैं अन्य महिलाओं से?
प्रियंका: मैं बस यही कहना चाहती हूँ महिलाओं से कि अपने ऊपर विश्वास रखें और  अपनी क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए कुछ न कुछ करते रहें और हाँ अपने परिवार को विश्वास में ले कर अगर आप कुछ करते हैं तो ज़रूर आप भी जीवन के हर क्षेत्र में नए आयाम छू सकेंगी।

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