पोंगा पंडित बीन बजाते
अंधों की टोली नाच रही
अधर्मी धर्म का पाठ पढ़ाते
वाहजी.. ये भी क्या बात रही
भोग विलास न खुद ने छोड़ा
और त्याग का राग आलाप रहा
कामनाओं के वश में भान नहीं
क्या पुण्य हुआ क्या पाप रहा
माया के जाल में फंसा हुआ खुद
क्या मोह तुम्हे छुड़वाएगा
प्रभुत्व के लोभ फंसा मनुज
क्या प्रेम, त्याग सिखलाएगा
मानवता पहला धर्म मनुष्य का
सदाचार से ऊँचा कर्म नहीं
आँखें खोल अब तो....पहचाने
आडम्बर में कोई मर्म नहीं
क्या मुक्ति का मार्ग बताएगा
भक्ति का जो व्यापार करे
खुद अंत समय पछताएगा
जो परहित का न ध्यान धरे
ना धन से सिद्ध हुए थे बुद्ध
न सद्गुरुओं ने भेंट का मोह किया
सत्य गुरु की पहचान विरक्ति
चित्त तत्वमीमांसा में ही लीन किया
अब तो भले बुरे का भेद समझ
स्वधर्म का हम सन्मान करे
लुटिया इनकी गर्ग करे
पाखंडियों पर न ध्यान धरे..
दुष्कर्म का चहरा साफ हुआ
ना कहने की कुछ बात रही !!!
अंधों की टोली नाच रही
अधर्मी धर्म का पाठ पढ़ाते
वाहजी.. ये भी क्या बात रही
भोग विलास न खुद ने छोड़ा
और त्याग का राग आलाप रहा
कामनाओं के वश में भान नहीं
क्या पुण्य हुआ क्या पाप रहा
माया के जाल में फंसा हुआ खुद
क्या मोह तुम्हे छुड़वाएगा
प्रभुत्व के लोभ फंसा मनुज
क्या प्रेम, त्याग सिखलाएगा
मानवता पहला धर्म मनुष्य का
सदाचार से ऊँचा कर्म नहीं
आँखें खोल अब तो....पहचाने
आडम्बर में कोई मर्म नहीं
क्या मुक्ति का मार्ग बताएगा
भक्ति का जो व्यापार करे
खुद अंत समय पछताएगा
जो परहित का न ध्यान धरे
ना धन से सिद्ध हुए थे बुद्ध
न सद्गुरुओं ने भेंट का मोह किया
सत्य गुरु की पहचान विरक्ति
चित्त तत्वमीमांसा में ही लीन किया
अब तो भले बुरे का भेद समझ
स्वधर्म का हम सन्मान करे
लुटिया इनकी गर्ग करे
पाखंडियों पर न ध्यान धरे..
दुष्कर्म का चहरा साफ हुआ
ना कहने की कुछ बात रही !!!
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