Sunday, May 15, 2016

सफलता की चाबी

अगर आपको अपनी ज़िन्दगी में कभी असफलता नहीं मिली तो इसका मतलब है की अपने कभी कोई नया काम नहीं किया।  असफलता, सफलता की चाबी है इसके बिना आप सफलता के द्वार नहीं खोल सकते। अगर आप भी कही असफल हुए हो तो ख़ुशी की बात है की आपने दुसरो से कुछ अलग करने की ठानी है और असफलता तो एक स्पीड ब्रेकर की तरह है ये आपको धीमा कर सकती है पर रोक नहीं सकती और जो रुक गया वो कभी अपनी मंज़िल तक नहीं पहुँच सकता। जीवन में कठिनाईयां तो आती ही हैं  और कभी-कभी तो संभलने का भी पूरा समय भी नहीं मिलता। पर यही जीवन का रोमांच है ठोकर खा कर ही हम संभलना सीख सकते हैं। हम उससे बचने की कोशिश कर सकते है पर ठोकर कहते ही उसे हैं जो सावधानी के बाद भी लगती है सफलता आपको सफल बनती है पर असफलता आपको महान बनाती है आपकी असफलता ये तय करती है की आप कितने महान है हमारे इतिहास में जितने भी महापुरुष हुए हैं वो जीवन में सफल बनने से पहले लगातार कई बार फेल हुए हैं | जब हम कुछ नया और अलग कर रहे है तो ये ज़रूरी नहीं कि सब कुछ सही ही होगा| लेकिन अगर आप इस वजह से प्रयास करना छोड़ देंगे तो कभी सफल नहीं हो सकते । हर सफल व्यक्ति की कहानी असफलता से शुरू होती है ऐसी कहानियो की भरमार है जिसमे सफल बनने से पहले किन असफलताओ का सामना करना पड़ा किसी को मंदबुद्धि कहा गया तो किसी को छोटे से छोटे काम के लायक भी नहीं समझा गया किसी को कॉलेज से निकल दिया तो किसी के पास पढ़ने के पैसे भी नहीं थे। हेनरी फोर्ड प्रसिद्ध फोर्ड मोटर कंपनी के मालिक सफल बनने से पहले 5 बार असफल हुए और उनकी आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी। पर उन्होंने हार नहीं मानी और सफल हुए। जैक मा पढाई में बिलकुल अच्छे नहीं थे और करीब 30 नौकरी से Rejection के बाद जैक मा ने  अलीबाबा की शुरुआत की। थॉमस अल्वा एडीसन जिन्हें एक लाइट बल्ब बनाने के लिए पहले 1000 बार असफलता का मुंह देखना पड़ा। थॉमस अल्वा एडीसन की तरह बहुत कम लोग होते हैं, जो सफलता के लिये ज़िद्दी होते है इतनी कोशिश के बाद तो असफलता भी हार मन जाये।  एक सफल व्यक्ति का लक्ष्य सफलता पाने के बाद ही खत्म होता है।
महान पर्वतारोही एडमंड हिलेरी माउंट एवरेस्ट पर जाने में असफल रहे। उनके लंदन वापस लौटने पर उनके सम्मान में एक आयोजन किया गया इस मोके पर उन्हें एक स्पीच देना था उस स्पीच का एक छोटा सा अंश मै आपको बताना चाहुँगा जहाँ उन्हें स्पीच देना था ठीक उनके पीछे  माउंट एवरेस्ट की एक तस्वीर थी उस तस्वीर को देखकर उन्होंने कहा –
” मैं मानता हूं कि मैं तुम पर सफलता पाने में असफल रहा, तुमने मुझे हरा दिया।
किन्तु मैं इस असफलता से भयभीत होकर तुम पर विजय पाने का प्रयास नहीं छोडूंगा। मैं दुबारा कोशिश करुंगा तथा एक दिन तुम्हारे विशाल सीने पर अपने पैर रखकर तुम्हारे मस्तक तक पहुँचूंगा क्योंकि दुनिया में भले जो कुछ हो जाये किन्तु तुम अब बड़े नहीं हो सकते हो परन्तु मैं अभी भी बढ़ सकता हूं और मैं तुम्हे हरा कर दिखाऊंगा। ”
फिर उसके बाद एडमंड हिलेरी ने दोबारा कोशिश की और वो सफल रहे।  एडमंड हिलेरी ने अपनी असफलता को ताकत बनाया वो जानते थे की उस असफलता के बाद उनके पास खोने को नहीं है पर अगर वो सफल हुए तो उनका नाम इतिहास में दर्ज हो जायेगा।
जब हमें जीवन के कड़वे अनुभव होते हैं या हमें निराशा ने घेर लिया होता है उस समय हो सकता है कि हम विचलित हो जाएं पर ये सब ज़िन्दगी के अनुभव है जो आपको किसी टीचर की तरह आपकी ज़िन्दगी को तराश के हिरा बनाने का काम करती है आपको सिखाती है की ज़िन्दगी में मुश्किलों का सामना कैसे किया जाए उन मुश्किलो से लड़ने का साहस दिलाती है फिर जब हम अपने आप को आकते है तो पाते है की हमारी क्षमता और भी बढ़ गई है जीवन में हम और भी बढ़ी सफलता हासिल कर सकते है। असफलता आपको निखारने का काम करती है
अंत में स्टीव जाब्स की एक बात मुझे याद आ रही है जो उन्होंने अपने अंतिम समय में बोली थी।
“इस बात को याद रखना कि मैं बहुत जल्द मर जाऊँगा मुझे अपनी ज़िन्दगी के बड़े निर्णय लेने में सबसे ज्यादा मददगार होता है, क्योंकि जब एक बार मौत के बारे में सोचता हूँ तब सारी उम्मीद, सारा गर्व, असफल होने का डर सब कुछ गायब हो जाता है और सिर्फ वही बचता है जो वाकई ज़रूरी है.इस बात को याद करना की एक दिन मरना है…किसी चीज को खोने के डर को दूर करने का सबसे अच्छा  तरीका है ”
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राजा का कर्तव्य :-
बहुत समय पहले की बात है एक राज्य था जिसका राजा विक्रम सिंह था। वो बहुत अच्छे से अपना राज्य चलता था। अपन काम पूरी ईमानदारी से करता था उस राज्य में सभी सुखी और संपन्न थे। पर एक बार उसके राज्य में अकाल पड़ गया। अकाल के कारण लगान न के बराबर आया। और अब राजा को ये चिंता सताने लगी की खर्चा कैसे काम किया जा सके ताकि अकाल में भी काम चलाया जा सके। उसके बाद यही आशंका रहने लगी की राज्य की हालत देख दूसरे राज्य भी उसपे हमला न कर दें। और उसके कई मंत्री भी उसके खिलाफ होने लगे। उससे इस बात की इतनी चिंता होने लगी की वो न तो ठीक से खा पता न ही ठीक से सो पाता था। एक दिन राजा रात में अपने महल में टहल रहा था तो उसकी नज़र महल के सामने एक झोपडी पर पड़ी उसने देखा की उस झोपडी में रहने वाला परिवार बहुत सुखी है वो मजे से साथ में रहते बड़े स्वाद से खाना कहते। और बहुत घरी नींद सोते।  राजा को उनसे जलन होने लगी साथ ही वो इस बात का भी पता लगाना चाहता था की आखिर उनकी ख़ुशी का राज क्या है। ये बात जानने के लिए वो अपने गुरु के पास गया। और अपने गुरु को सारी बात बतायी। गुरु ये बात जान के बोले वत्स यह सब राज-पाट की चिंता के कारण है इसे छोड़ दो और  इससे किसी और को सोप दो। इस पर राजा ने बोला की में इतना बड़ा राज पाठ किसे दूँ। मेरे तो पुत्र भी अभी बहुत छोटा है और मुझे कोई दूसरा नहीं दिखता जो इतने बड़े राज पाठ को अच्छी तरह संभल सके। क्यों ना आप ही इससे संभल ले। इस पर गुरु ने थोड़ा सोचते हुए बोला ठीक है राजा ने उसी समय अपना राज्य गुरु को सौंप दिया। गुरु ने पूछा अब तुम क्या करोगे। राजा ने कहा कि मैं व्यापार करूंगा। इस पर गुरु ने कहा पर तुम पैसे कहा से लाओगे व्यापार के लिए। राजकोष तो अब मेरा है। राजा ने सोचा और कहा तो मैं नौकरी कर लूंगा। इस पर गुरु ने कहा यदि तुमको नौकरी ही करनी है तो मेरे यहां नौकरी कर लो। मै तो साधूु हूँ अपने आश्रम में ही रहूंगा।  तुम पहले की तरह ही महल में रहोगे। गद्दी पर बैठोगे और शासन चलाओगे, यही तुम्हारी नौकरी होगी। और समय समय पर मुझे इससे अवगत करते रहोगे की राज्य में क्या चल रहा है। राजा ने स्वीकार कर लिया और वह अपने काम को नौकरी की तरह करने लगा।
फर्क कुछ नहीं था काम वही था, लेकिन अब राजा चिंता मुक्त हो चूका था
कुछ महीनों बाद वह अपने गुरु को राज्य का हाल बताने गया। उन्होंने राजा से पूछा कहो तुम्हारी भूख और नींद का क्या हाल है। राजा ने बोला गुरु जी सब बढ़िया है अब में भरपेट खता हु और गहरी नींद सोता हुँ और राज्य भी अब पहले की तरह संपन्न हो गया है।
गुरु ने समझाया देखो सब पहले जैसेा ही है, लेकिन पहले तुमने जिस काम को बोझ समझकर कर  रहे थे।  अब सिर्फ उसे अपना कर्तव्य समझ कर रहे हो। हमें अपना जीवन कर्तव्य करने के लिए मिला है। किसी चीज को जागीर समझकर अपने ऊपर बोझ लादने के लिए नही।
सीख: 1. काम कोई भी हो चिंता उसे और ज्यादा कठिन बना देती है।

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