Thursday, May 12, 2016

अन्याय के खिलाफ अपनी बात

नवीन कुमार
मैं आप सभी से उम्मीद करता हूं की आप मेरे साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ अपनी बात जरूर रखेंगे जिसकी मुझे सबसे ज्यादा ज़रुरत है। पहले मैं आप को अपना परिचय दे दूं। मैं दिल्ली के नजफगढ़ इलाके में अपने परिवार के साथ पिछले 25 वर्षों से रह रहा हूं और मैं आत्मसम्मान के साथ जीने को प्राथमिकता देता हूं। बेहद गरीबी के हालात में मेरे माँ-बाप ने मुझे पढ़ाया है। माली हालात ख़राब होने के कारण हमारा एक छोटा सा 50 गज का टूटा-फूटा घर भी बिक गया था। जिसके बाद हम लोग, पिछले 8 साल से किराये के घर में रह रहे थे। किराये के घर में ही मेरी और मेरी छोटी बहन की शादी हुई थी। मेरी 3 साल की एक बेटी है और वर्तमान में हम एक बेहद क्लोज़ रिश्तेदार के घर में रह रहे हैं।
मैंने दिल्ली विश्वविधालय के देव नगर खालसा कालेज से हिंदी पत्रकारिता में डिग्री ली है। इससे पहले मैंने वर्ष 2000 में सैनिटरी इंस्पेक्टर का कोर्स किया था, जिसमें मैंने प्रथम दर्जा हासिल किया था। लेकिन सरकारी नौकरी नहीं मिली। वर्ष 2005 के बाद मैंने कई जगह पत्रकारिता की जॉब के लिए पुरज़ोर कोशिश की। काफी मशक्कत के बाद मुझे 18 अप्रैल 2008 को ndtv के साथ स्ट्रिंगर के रूप में जुड़ने का अवसर मिला। इससे मुझे एक नयी पहचान मिली जिसे पाकर मैं बहुत खुश था।

अब आप आगे का मेरा दर्द सुनिए जो मुझे बिलकुल बर्दाश्त नहीं हो रहा है।

अभी कुछ समय पहले जहां हम किराये पर रह रहे थे वहीं पास में एक श्री गोदारा नाम का एक डीलर रहता है जो घरों की खरीद फरोख्त करता है। उसने मेरे एक जानकार के पैसे हड़प लिए। मैंने श्री गोदारा डीलर को कहा की इसके पैसे दे दो। डीलर पैसे देने में आनाकानी करने लगा और जब मैंने दोबारा डीलर को पैसे देने की बात कही तो उसने मुझे मेरे पुराने मो. नं. 9818003526 पर मारने की धमकी दी। मैंने इसकी शिकायत नजफगढ़ थाने में की। बाद में मैंने मामले को क़ानूनी तवज्जो न देकर इंसानियत के नाते खत्म कर दिया।

उसी दिन दोपहर में डीलर श्री गोदारा ने ndtv के ऑफिस में झूठी कॉल कर जानकारी दी की नवीन कुमार ने मेरा स्टिंग आपरेशन कर लिया और मुझे ब्लैकमेल कर 6 लाख रूपए की मांग कर रहा है। लेकिन सवाल यहां दो हैं। पहली बात मैंने कोई स्टिंग ऑपरेशन किया ही नहीं। दूसरा कि स्टिंग ऑपरेशन किस चीज को लेकर हुआ? इसका मतलब डीलर गलत है तभी उसके दिमाग में स्टिंग ऑपरेशन का ख्याल आया। सवाल ये भी कि यदि डीलर सही था तो उसने पुलिस को सबूतो के साथ इसकी जानकारी क्यों नहीं दी।

इसी बात की सच्चाई जानने के लिए ndtv से नवम्बर 2012 में मुकेश सिंह सेंगर को भेजा गया। जिसके बाद ये रिपोर्टर डीलर गोदारा से मिला। डीलर ने मुकेश को भी स्टिंग ऑपरेशन की मनगढंत कहानी बताई लेकिन रिपोर्टर मुकेश डीलर से इस सवाल की जानकारी नहीं ले पाया की स्टिंग हुआ भी था या नहीं। अगर हुआ था तो इसका क्या सबूत हैं। इसके बाद रिपोर्टर मुकेश ने मुझसे संपर्क किया। मैं अपनी मौसी के घर गोपाल नगर था। मुकेश और कैमरामैन मुझसे मिलने आये। मैंने उनको मौसी के घर अंदर बैठा लिया करीब 5 मिनट बाद मुकेश ने मुझसे कहा कि नवीन मुझे तुमसे कुछ पूछना है।

मैंने कहा पूछो, मुकेश ने कहा कि बाहर चलो। हम घर के बाहर आ गए। शांत एरिया में मुकेश ने पूछा की किसी डीलर गोदारा को जानते हो। मैंने कहा, हां जानता हुं। रिपोर्टर मुकेश ने कहा की वो तुम्हारी शिकायत कर रहा है। मैंने पूछा कि क्या कह रहा है। मुकेश ने कहा कि तुम्हे सब पता है। मैंने पूछा कि क्या पता है, मुकेश ने कहा की तुम उससे पैसे मांग रहे हो तुमने उसका स्टिंग किया है। मैंने कहा, आपसे गोदारा झूठ बोल रहा मैंने कोई स्टिंग नहीं किया है। लेकिन मुकेश सिंह सेंगर मुझ पर दबाव बनाने लगा और कहने लगा कि वो स्टिंग मुझे दे दो। फिर भी मैंने कहा गोदारा आप को गलत जानकारी दे रहा है, लेकिन मुकेश मुझसे बदतमीजी पर उतर आया।

मेरे और मुकेश के बीच कहासुनी हो गयी और फिर मुकेश वहां से चला गया। मुकेश ने फोन करके ndtv के दूसरे रिपोर्टर आशीष भार्गव को बुला लिया और निवर्तमान डीसीपी अनिल कुमार ओझा तथा एसीपी नजफगढ़ नारायण मीणा को मेरे बारे में बढ़ा चढ़ा कर जानकारी दी। कुछ ही मिनटों के बाद ही मुकेश सिंह सेंगर नजफगढ़ पुलिस स्टेशन से पुलिस को लेकर आ गया। और पुलिस मुझे नजफगढ़ ले गयी। वहां से कुछ देर के बाद मुझे बाबा हरिदास पुलिस स्टेशन लेकर गयी।
बाबा हरिदास नगर पुलिस ने मुझ पर आर्म्स एक्ट की धारा 25 (54), 27, 59 और आईपीसी की धारा 323, 365, 506 के तहत एफआईआर (मु.अ.सं. 229/12) दर्ज की। वहां मेरा मोबाइल nokia c-2 कांटेक्ट नंबर 9818003526 छीन लिया गया। उस समय मौजूद sho राजबीर सिंह लाम्बा ने मेरी मौसी और मामी के साथ बदतमीजी की। इस सबके बाद मुझे हाथो में हथकड़ी लगाई गई। फिर इस केस के इंवेस्टिगेशन ऑफिसर पुरुषोत्तम ने मुझे पुलिस स्टेशन में मौजूद पेड़ से बाँध कर पीटा। इसके बाद इसके बाद मुझे राव तुलाराम हॉस्पीटल लेकर गए।

वहां मौजूद डॉक्टरों ने मुझे दर्द निवारक इंजेक्शन इसलिए लगाये कि मुझे दर्द न हो और मुझे नींद के इंजेक्शन भी लगाये। इसके बाद मुझे नजफगढ़ के लॉकअप में बंद कर दिया। अगले दिन भी जब मुझे द्वारका कोर्ट में पेश किया तो भी नींद के हैवी डोज के इंजेक्शन लगाये। ज़मानत अर्जी पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने मुझे परमानेंट जमानत दे दी। उससे बाद से आज तक मुझे पुलिस की तरफ से और ना ही कोर्ट की तरफ कोई समन मिला है।

इस बीच सबसे बड़ी सजा मेरे लिए यही है की इस आरोप के लगने के बाद से दो दिन बाद मुझे जमानत तो जरूर मिल गयी लेकिन मै डिप्रेशन से ग्रस्त हो गया। हर एक दिन घर पर रह कर सजा की तरह काट रहा हूं। फिलहाल कुछ काम नहीं कर रहा हु मानो जिंदगी मेरे लिए एक बोझ हो गयी है। मुझे सबसे बड़ी शिकायत मुकेश सिंह सेंगर और आशीष भार्गव है से है, जो इस बात की तह तक जाने के बजाय झूठे आरोपों को लगाकर अपने को बड़ा मान रहे हैं। इस बात के लिए मुकेश और आशीष दोनों इस मनगढंत कहानी के कसूरवार हैं।


नवीन कुमार
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मुकेश कुमार सेंगर ने भड़ास के साथ बात करते हुए नवीन के आरोपों को झूठा और निराधार बताया। उन्होने कहा कि गोदारा द्वारा लगाए गए स्टिंग के आरोप के संबंध में जब वे नवीन से मिलने गए तो बातचीत के दौरान नवीन ने उनके साथ कहासुनी और मारपीट की थी। इसलिए नवीन के खिलाफ एफआईआर दर्ज़ करवाई गई थी।
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 भूख हड़ताल पर बैठे पत्रकार, सिटी मजिस्ट्रेट के आदेश पर दर्ज हुई रिपोर्ट : शाहजहांपुर में पत्रकार के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी लिखे होर्डिंग्स लगाए जाने से नाराज पत्रकारों ने कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन किया और भूख हड़ताल पर बैठ गए। डीएम को संबोधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट को देकर होर्डिंग लगाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। बाद में सिटी मजिस्ट्रेट के आदेश पर रिपोर्ट दर्ज होने के बाद भूख हड़ताल सिटी मजिस्ट्रेट ने पत्रकार को जूस पिलाकर हड़ताल समाप्त कराई।
कुछ आसमाजिक तत्वों ने पत्रकार जगेंद्र सिंह के 'वांटेड' लिखित होर्डिंग शहर में जगह जगह लगा दिए। होर्डिग में थाना सदर बाजार के प्रभारी निरीक्षक को सीयूजी नम्बर भी डाल दिया। उसमें जगेंद्र को पकड़वाने वाले को उचित ईनाम दिए जाने की बात भी कही गई। गुरुवार सुबह जब कुछ लोगों की नजर जगह जगह लगे होर्डिंग पर गई, तो उन्होंने तुरंत मामले की सूचना जगेंद्र सिंह को दी। साथ ही थाना सदर बाजार पुलिस ने उक्त होर्डिंग के बावत जानकारी की। लेकिन कोतवाल जेपी तिवारी ने किसी तरह के होर्डिंग्स लगाए जाने से इंकार कर दिया। इसके बाद भड़के पत्रकार कलेक्ट्रेट पहुंचे और होर्डिंग लगाने वालों के खिलाफ नारेबाजी करते हुए डीएम को संबेाधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट को सौपा। पत्रकारों का कहना है कि कुछ दिनों ने नकली सरसों के तेल का कारोबार करने वाले सचिन बाथम और उसके साथी सुरेंद्र सेठ जैसे लोग जगेंद्र को धमका रहे थे कि उन लोगों के खिलाफ खबरें न छापीं जाए।

पत्रकारों का आरोप है कि जगेंद्र की छवि धूमिल करने के खिला इन लोगों ने ही अपमानजन शब्द लिखे होर्डिंग लगवाए। सिटी मजिस्ट्रेट ने ज्ञापन के आधार पर दोषियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने के आदेश थाना सदर बाजार पुलिस को कर दिए है। इस मौके पर दीप श्रीवास्तव, सौरभ दीक्षित, अमित त्यागी,अम्बुज मिश्र, रीतेश माथुर, पियूष दुवे, सुशील शुक्ला, प्रेमशंकर गंगवार, अमित गुप्ता, कमल सिंह, हेमंत डे, सुयश सिन्हा, विजय शुक्ला, विनीत सैनी, विजय भारती, गोविंद अवस्थी, विनीत गुप्ता, राजीव गुप्ता, जितेंद्र सिंह, अवनीश मिश्र, आदर्श मिश्र, रोहित यादव, अभिनव मिश्रा, अभिनय गुप्ता, रवि शर्मा, साजिद खां, सचिन गुप्ता, शानू, शान मोहम्मद, ओमप्रकाश, मनोज कुमार आदि पत्रकार मौजूद रहे।
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कल और परसों जिला बस्ती (उत्तर प्रदेश) में रहूंगा. अपने घनिष्ठ मित्र Prasoon Shukla के सम्मान समारोह में. पेड और प्रायोजित पुरस्कारों की भीड़ में जब कोई अपनी ही माटी के लोगों के हाथों अपनी ही जमीन पर सम्मानित किया जाता है तो उसका सुख सबसे अलग और अलहदा होता है. बस्ती के रहने वाले हैं प्रसून शुक्ला. शुरुआती पढ़ाई लिखाई के साथ-साथ लड़ने भिड़ने जूझने और अंतत: जीत जाने की ट्रेनिंग भी इसी धरती ने दी है.
प्रसून के सम्मान समारोह में शिरकत करने के लिए मुझे भी न्योता मिला. समारोहों-आयोजनों के निमंत्रण तो बहुत मिलते रहते हैं लेकिन अपनी व्यस्तताओं, आलस्य और उदासीन मन:स्थिति के कारण शिरकत नहीं कर पाता. पर बस्ती दो वजहों से जा रहा हूं. एक तो दोस्ती-मित्रता का धर्म कहता है कि मित्र-दोस्त के उत्सव और मुश्किल, दोनों का हिस्सा बनो, बिना शर्त और बिना किंतु परंतु के. दूसरा एक बेहद जमीनी और मौलिक आयोजन को जीना-समझना, जिसे न कोई पीआर कंपनी आयोजित करा रही है और न इसके पीछे कोई इवेंट मैनेजमेंट कंपनी की सक्रियता है. ये उन लोगों का आयोजन है जो अपने जिले से निकलने और दूर शहरों के आसमान में जाकर चमक बिखेरने वाले सितारों को अपनी जमीन पर बुलाकर उसे दाद, सपोर्ट, समर्थन, सम्मान देकर 'अच्छे लोगों के बिखरकर खुशबू के यत्र तत्र सर्वत्र फैला देने' की परंपरा का आत्मिक और ममत्व भरा जयगान करते हैं. 

बस्ती तक जा रहा हूं तो गाजीपुर कैसे न जाउंगा. चार घंटे का रास्ता होगा ज्यादा से ज्यादा. जब गाजीपुर जाता हूं तो पाता हूं कि वही माटी, वही रास्ते, वही लोग, वही मौसम है यहां का जबसे सांस लेना शुरू किया और आसपास को अपने अंदर के समग्र में चेतन-अवचेतन हालात में समेटना सहेजना शुरू किया. ऐसा लगता है जैसे ब्लड प्रेशर खुद ब खुद लो हो गया. ऐसा लगता है जैसे उत्साह और उल्लास खुद ब खुद अंदर हिलोरें लेने लगा. प्रोफेशनल दिनचर्याओं में कैद शरीर से कोट टाई उतार कर फेंकते हुए घुड़दौड़ी महानगर को दूर छोड़ना तभी संभव है जब आप अपनी मिट्टी, अपनी धरती, अपने गांव-जवार से बिना शर्त सम्मोहित होते रहते हैं. ये वो जगह है जहां ठठाकर बात-बात में हंसने के पीछ कोई कार्य-कारण सिद्धांत काम नहीं किया करते. ये वो जगह है जहां मौन होकर चलने जीने में भी एक इनविजिबिल पाजिटिव एनर्जी आसपास होने का फील दिया करती है. तो आप बस्ती के हों या गाजीपुर के, आप छपरा के हों या होशंगाबाद के, आप जहां के हों, वहां जरूर जाएं. बिना वजह जाएं. उब जाएं महानगरी घुड़दौड़ से तो बिना वजह भाग के जाएं. और, जाएं तो बिना मकसद मिलें, भटकें, खाएं, जिएं. मन-शरीर का इससे बड़ी इनर-आउटर हीलिंग और किसी तरीके से संभव नहीं. तो, मैं अब चला अपने गांव, सबको राम राम राम. :)

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