सत्ता में आने के बाद देश में शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी सरकार की होती है| सत्ता में आने के बाद भी गड़बड़ियों के लिए विपक्ष को कोसना विवशता की स्वीकारोक्ति है|
मोदी साहब ने कहा कि उनकी सरकार को गिराने की साजिश की जा रही है| मोदी साहब इसआशय की बात पहले भी कई बार कहे हैं कि ,उनकी सरकार के खिलाफ साजिश की जा रही है| यह ठीक बात है |लेकिन यह स्वाभाविक है और इस में नयापन नहीं है| क्योंकि सभी इस बात से वाकिफ है कि विपक्ष का का गड़बडिया फैलाना और विरोध करना ही होता है ताकि सरकार को बदनाम* करके उनकी लोकप्रियता कम की जा सके तो क्या मोदी साहब कांग्रेस आम पार्टी लेफ्ट और अंय विपक्षी पार्टियों से यह उम्मीद कर रहे हैं कि वे मोदी साहब के शासन की सार्वजनिक तारीफ करेंगे उनके काम में रोड़े नहीं डालेंगे और देशहित में कंधे से कंधा मिला कर काम करेंगे
गुजरात और हरियाणा के आरक्षण आंदोलन में विपक्ष का हाथ है कहां गया jnu भी विपक्ष की साजिश थी पठानकोट हमले में पाकिस्तान का हाथ था आज पंप ऑल में फिर आतंकवादी हमला हुआ और 5 जवान शहीद हुए सभी वाकिफ है कि इसमें भी पाकिस्तान का ही हाथ है रोहित यमुना प्रकरण में भी वक्त विपक्ष दोषी है मालदा विपक्ष द्वारा प्रायोजित सा संसद नहीं चल रही क्योंकि विपक्ष नहीं चलने देना चाहता असहिष्णुता भी विपक्ष फैला रहा है ऐसा बताया गया और पैड मीडिया तो शेयर सभी विवादों में दोषी है|
तो मेरा कहना है कि यह ऊपर कहे और अन्य अनकहे विवादों के दोषी विपक्ष और मीडिया ही है लेकिन क्या ऐसा कहने से सरकार अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाती है क्या मोदी साहब को देश की जनता ने थोक में भाव से सब कुछ सुनने के लिए वोट दिए थे कि मैं प्रधानमंत्री हूं लेकिन मेरे बस में कुछ नहीं है
विपक्ष का क** देश में आग लगाना है और वह लगाएगा आप में देश चलाने का होसला होना चाहिए आज सरकार आपके पास है आपके पास पुलिस है सेना है id है सीबीआई है राहे दर्जनों मंत्रालय और मंत्री हैं आप 125 करोड़ की नुमाइंदगी करते हैं और देश के सबसे बड़े लोकतंत्र के नीति नियंता है लेकिन आज 2 साल बीत जाने पर भी खुद के नकारा होने को विपक्ष के खिलाफ मुद्दा बना रहे हैं सरकार इकबाल से चलती है और उसके खत्म होने से ला एंड आर्डर फेल हो जाएगा तब इसका दोष विपक्ष के ऊपर डाल देना या तो चालाकी है या पलायनवाद है
ठीक है देश जैसे भी चल रहा है चलेगा लेकिन सरकार में होने के बावजूद लगातार सभी गड़बड़ियों के लिए विपक्ष का आश्रय लेना सरकार की विवशता को दिखाता है लेकिन सरकार कभी भी वश नहीं होती नहीं आज है दरअसल या तो मोदी साहब ने उस राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव है जो कानून व्यवस्था को बनाए रखने में लगती है या फिर मोदी साहब कतई उम्मीदों पर खरी नहीं है जो उनकी छवि को लेकर प्रसारित किया गया
दरअसल कांग्रेस केजरीवाल लेफ्ट मीडिया और पाकिस्तान अपने एजेंडे पर क** करना जारी रखे हुए हैं लेकिन मोदी साहब ने उनके पति रो
प्रतिरोधो से बचने के लिए कोई कदम नहीं उठाए और तब निराशा होती है जब कि उन्हें सत्ता संभाले पर्याप्त समय हो चुका हो
पठानकोट हमला पाकिस्तान की चाल थी लेकिन यह भी पाकिस्तान वाजपेई और मनमोहन सरकार की तर्ज पर ही हमले करता रहे और हमारे सैनिक शहीद होते रहे तो मोदी साहब और मनमोहन में क्या अंतर है
मोदी साहब नवाज शरीफ के साथ जिस तरह की चाहे कूटनीति खेले और चाहे अजीत डोवाल की जगह चिंचपोकली को सलाहकार बना दें परंतु हमें नतीजों में अपने सैनिकों की शहादत नहीं चाहिए यह जिम्मेदारी मोदी साहब की है कि भारत में आंतरिक और बाहरी शांति बनी रहे 286 सीटों के साथ बहुमत देने के बावजूद नागरिक यह कीमत चुकाने को तैयार नहीं है हम मनमोहन के शासनकाल में भी चिताऐ ही जला रहे थे और आज भी जला रहे हैं तो फिर हमने इस देश में बदला क्या है सरकारि या पार्टी
यदि मीडिया देश में आग लगा रहा है और मोदी साहब के पास मीडिया पर लगाम कसने का उपाय नहीं है तो हमें इसके उपाय की उम्मीद किससे रखनी चाहिए कांग्रेस से आम पार्टी से या मीडिया से यदि मतदाताओं को इनसे उम्मीद होती तो नागरिक मोदी साहब की झोली में 286 सीट कभी नहीं डालते
क्या कोई बताएगा कि मोदी साहब ने देशद्रोही मीडिया चैनल्स को रेगुलेट करने या उनमें सुधार लाने के लिए कितने कानून पास किए हैं क्योंकि मेरी जानकारी में भारत में मीडिया आज भी ठीक उन्हीं कानूनों पर चल रहा है जिन कानूनों पर मनमोहन सरकार के दौरान क** कर रहा था और मोदी साहब के मंत्रियों ने मीडिया को सुधारने का यह अजीब तरीका निकाला है कि उन्हें prestige कहां जाए इससे मीडिया निष्पक्ष या देशभक्त हो जाएगा
कम से कम मोदी साहब इतना तो कर ही सकते हैं की दूरदर्शन अध्यक्ष तथा सूचना प्रसारण मंत्री को नौकरी से निकालने वह तुमने की प्रक्रिया भारत के नागरिकों को द* ऐसा कानून पास करने में सिर्फ एक सरकारी अधिसूचना की आवश्यकता है ऐसा होने से सिर्फ तीन महीनों के भीतर भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष मीडिया की स्थापना हो जाएगी लेकिन क्योंकि अपनी पूर्ववर्ती सरकार की तरह हैं मोदी साहब भी नागरिकों को ऐसी शक्ति देने का विरोध करते हैं अतः उन्होंने इस प्रस्ताव को ही खारिज कर दिया ठीक है कोई बात नहीं लेकिन यह देखना अजीब है कि मोदी साहब चाहते हैं कि सूचना प्रसारण मंत्री और दूरदर्शन के अध्यक्ष के पद पर वे अपना आदमी भी खाएंगे लेकिन देश में मीडिया सुधारों से पल्ला झाड़ लेंगे
तो मैं पूछना चाहूंगा कि यदि देश का मीडिया बिकाऊ भांड राष्ट्रद्रोही और प्रेस्टी है तो क्या हमें भारत के मीडिया को सुधारने के लिए बुल्गारिया के प्रधान मंत्री को वोट करना चाहिए ताकि वे यहां आकर मीडिया को सुधारने के लिए आवश्यक कानूनों को पास करें या हमें दिन में 72 बार मीडिया को भांड मीडिया बिकाऊ मीडिया देशद्रोही मीडिया किनारे लगाने चाहिए ताकि मीडिया के प्रायोजकों की आत्मा जाग जाएं और वह देश भक्त हो जाएं
राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखना हालांकि राज्यों का विषय है किट्टू सभी जानते हैं कि मोदी साहब की आरक्षण को लेकर नीति लूंजपुंज है और वह वक्त देख कर क्रमशः आरक्षण के समर्थक और विरोधी होने का संकेत देते रहते हैं तस्दिक के लिए आप bjp का मेंसेस तो देख सकते हैं आरक्षण पर उनका कोई पुख्ता इस सेंड नहीं है सब गड़बड़ है ताकि अवसर के अनुसार उसे बदला जा सके विधानसभा चुनाव के दौरान मोदी साहब ने खाप पंचायतों के प्रमुखों को यह संकेत दिया कि वे जाटों को आरक्षण दिए जाने का समर्थन करते हैं नतीजा हरियाणा को इतना हिंसक आंदोलन झेलना पड़ा वहां के मुख्यमंत्री खट्टर है जो कि मोदी साहब के प्रसाद पर्यंत कुर्सी पर बने हुए हैं और उनकी जिम्मेदारी है कि नागरिकों को जान माल की क्षति ना उठानी पड़े लेकिन में उठा रहे हैं ठीक है यह सब कांग्रेस का करा कराया है जैसा कि सोशल मीडिया पर बीजेपी की आईटी सेल द्वारा कहां जा रहा है लेकिन हरियाणा के नागरिकों ने कांग्रेस को नहीं बीजेपी को वोट दिया है
और सत्ता में रहकर भी यदि bjp नागरिकों और देश को कांग्रेस के ताप से नहीं बचा सकती तो उन्हें यह स्पष्ट घोषणा करनी चाहिए कि सत्ता में आने के बावजूद देश कांग्रेस ही चलेगी
कमोबेश यही हालत सभी क्षेत्रों में है महंगाई बढ़ रही है रुपया गिर रहा है सरकारी स्कूल और अस्पताल जैसे थे वैसे ही है pk जैसी फिल्में अनकट रिलीज हो रही है छोटे और बड़े दोनों पर दो पर नग्नता का स्तर बढ़ गया है धर्मांतरण जारी है गाय कट रही है मंदिरों का प्रशासन टूटता जा रहा है अब यह सभी समस्याएं कांग्रेस के समय में भी थी और आज भी है तो मोदी साहब को वोट इसलिए नहीं दिया गया था की वह कांग्रेस के ६०साल के शासन काल में 5 साल और जोड़ दें भाषण लफ्फाजी स्वच्छता अभियान खादी प्रचार और योग आदि साथ नेत्र गतिविधियां है शासन नहीं
कुल मिलाकर मेरा बिंदु यह है कि देश में जो भी कई समस्याएं हैं या विपक्ष द्वारा जो भी गड़बड़ियां फैलाई जा रही हैं उनके समाधान के लिए ही मोदी साहब को चुना गया है उन्हें इन समस्याओं को खत्म करने के लिए आवश्यक कानून बनाने चाहिए और हां यहां मैं यह बात भी दर्ज करना चाहूंगा की आरोप-प्रत्यारोप के लिए आज से राज्यसभा में बहुमत नहीं होने की बातें कहना ठीक है लेकिन यह भी सच है कि जो भी कानून मोदी साहब पास करना चाहें उन्हें संयुक्त सत्र बुलाकर पास किया जा सकता है और संयुक्त सत्र में एनडीए के पास बहुमत है और यदि कांग्रेस के नेता ज्यादा अवरोध पैदा करने का प्रयास करते हैं तो बकौल मोदी साहब कांग्रेस ने देश को ६० सालों तक लूटा ह
ै
अतः आप उनके पुराने चित्रों को सीबीआई से खुलवा कर उन्हें जेल में फेंका जा सकता है और ज्यादा दूर भी जाने की जरूरत नहीं है, रॉबर्ट वाड्रा की जमीदारी किसी से छिपी नहीं है| हरियाणा और केंद्र दोनों में बीजेपी की सरकार है|
अब ऐसी हालत में भी यदि आप द्रोहियों को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं है तो फिर दोष जनता का नहीं है| क्योंकि जनता इस देश की प्रधानमंत्री नहीं है|
मोदी साहब ने कहा कि उनकी सरकार को गिराने की साजिश की जा रही है| मोदी साहब इसआशय की बात पहले भी कई बार कहे हैं कि ,उनकी सरकार के खिलाफ साजिश की जा रही है| यह ठीक बात है |लेकिन यह स्वाभाविक है और इस में नयापन नहीं है| क्योंकि सभी इस बात से वाकिफ है कि विपक्ष का का गड़बडिया फैलाना और विरोध करना ही होता है ताकि सरकार को बदनाम* करके उनकी लोकप्रियता कम की जा सके तो क्या मोदी साहब कांग्रेस आम पार्टी लेफ्ट और अंय विपक्षी पार्टियों से यह उम्मीद कर रहे हैं कि वे मोदी साहब के शासन की सार्वजनिक तारीफ करेंगे उनके काम में रोड़े नहीं डालेंगे और देशहित में कंधे से कंधा मिला कर काम करेंगे
गुजरात और हरियाणा के आरक्षण आंदोलन में विपक्ष का हाथ है कहां गया jnu भी विपक्ष की साजिश थी पठानकोट हमले में पाकिस्तान का हाथ था आज पंप ऑल में फिर आतंकवादी हमला हुआ और 5 जवान शहीद हुए सभी वाकिफ है कि इसमें भी पाकिस्तान का ही हाथ है रोहित यमुना प्रकरण में भी वक्त विपक्ष दोषी है मालदा विपक्ष द्वारा प्रायोजित सा संसद नहीं चल रही क्योंकि विपक्ष नहीं चलने देना चाहता असहिष्णुता भी विपक्ष फैला रहा है ऐसा बताया गया और पैड मीडिया तो शेयर सभी विवादों में दोषी है|
तो मेरा कहना है कि यह ऊपर कहे और अन्य अनकहे विवादों के दोषी विपक्ष और मीडिया ही है लेकिन क्या ऐसा कहने से सरकार अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाती है क्या मोदी साहब को देश की जनता ने थोक में भाव से सब कुछ सुनने के लिए वोट दिए थे कि मैं प्रधानमंत्री हूं लेकिन मेरे बस में कुछ नहीं है
विपक्ष का क** देश में आग लगाना है और वह लगाएगा आप में देश चलाने का होसला होना चाहिए आज सरकार आपके पास है आपके पास पुलिस है सेना है id है सीबीआई है राहे दर्जनों मंत्रालय और मंत्री हैं आप 125 करोड़ की नुमाइंदगी करते हैं और देश के सबसे बड़े लोकतंत्र के नीति नियंता है लेकिन आज 2 साल बीत जाने पर भी खुद के नकारा होने को विपक्ष के खिलाफ मुद्दा बना रहे हैं सरकार इकबाल से चलती है और उसके खत्म होने से ला एंड आर्डर फेल हो जाएगा तब इसका दोष विपक्ष के ऊपर डाल देना या तो चालाकी है या पलायनवाद है
ठीक है देश जैसे भी चल रहा है चलेगा लेकिन सरकार में होने के बावजूद लगातार सभी गड़बड़ियों के लिए विपक्ष का आश्रय लेना सरकार की विवशता को दिखाता है लेकिन सरकार कभी भी वश नहीं होती नहीं आज है दरअसल या तो मोदी साहब ने उस राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव है जो कानून व्यवस्था को बनाए रखने में लगती है या फिर मोदी साहब कतई उम्मीदों पर खरी नहीं है जो उनकी छवि को लेकर प्रसारित किया गया
दरअसल कांग्रेस केजरीवाल लेफ्ट मीडिया और पाकिस्तान अपने एजेंडे पर क** करना जारी रखे हुए हैं लेकिन मोदी साहब ने उनके पति रो
प्रतिरोधो से बचने के लिए कोई कदम नहीं उठाए और तब निराशा होती है जब कि उन्हें सत्ता संभाले पर्याप्त समय हो चुका हो
पठानकोट हमला पाकिस्तान की चाल थी लेकिन यह भी पाकिस्तान वाजपेई और मनमोहन सरकार की तर्ज पर ही हमले करता रहे और हमारे सैनिक शहीद होते रहे तो मोदी साहब और मनमोहन में क्या अंतर है
मोदी साहब नवाज शरीफ के साथ जिस तरह की चाहे कूटनीति खेले और चाहे अजीत डोवाल की जगह चिंचपोकली को सलाहकार बना दें परंतु हमें नतीजों में अपने सैनिकों की शहादत नहीं चाहिए यह जिम्मेदारी मोदी साहब की है कि भारत में आंतरिक और बाहरी शांति बनी रहे 286 सीटों के साथ बहुमत देने के बावजूद नागरिक यह कीमत चुकाने को तैयार नहीं है हम मनमोहन के शासनकाल में भी चिताऐ ही जला रहे थे और आज भी जला रहे हैं तो फिर हमने इस देश में बदला क्या है सरकारि या पार्टी
यदि मीडिया देश में आग लगा रहा है और मोदी साहब के पास मीडिया पर लगाम कसने का उपाय नहीं है तो हमें इसके उपाय की उम्मीद किससे रखनी चाहिए कांग्रेस से आम पार्टी से या मीडिया से यदि मतदाताओं को इनसे उम्मीद होती तो नागरिक मोदी साहब की झोली में 286 सीट कभी नहीं डालते
क्या कोई बताएगा कि मोदी साहब ने देशद्रोही मीडिया चैनल्स को रेगुलेट करने या उनमें सुधार लाने के लिए कितने कानून पास किए हैं क्योंकि मेरी जानकारी में भारत में मीडिया आज भी ठीक उन्हीं कानूनों पर चल रहा है जिन कानूनों पर मनमोहन सरकार के दौरान क** कर रहा था और मोदी साहब के मंत्रियों ने मीडिया को सुधारने का यह अजीब तरीका निकाला है कि उन्हें prestige कहां जाए इससे मीडिया निष्पक्ष या देशभक्त हो जाएगा
कम से कम मोदी साहब इतना तो कर ही सकते हैं की दूरदर्शन अध्यक्ष तथा सूचना प्रसारण मंत्री को नौकरी से निकालने वह तुमने की प्रक्रिया भारत के नागरिकों को द* ऐसा कानून पास करने में सिर्फ एक सरकारी अधिसूचना की आवश्यकता है ऐसा होने से सिर्फ तीन महीनों के भीतर भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष मीडिया की स्थापना हो जाएगी लेकिन क्योंकि अपनी पूर्ववर्ती सरकार की तरह हैं मोदी साहब भी नागरिकों को ऐसी शक्ति देने का विरोध करते हैं अतः उन्होंने इस प्रस्ताव को ही खारिज कर दिया ठीक है कोई बात नहीं लेकिन यह देखना अजीब है कि मोदी साहब चाहते हैं कि सूचना प्रसारण मंत्री और दूरदर्शन के अध्यक्ष के पद पर वे अपना आदमी भी खाएंगे लेकिन देश में मीडिया सुधारों से पल्ला झाड़ लेंगे
तो मैं पूछना चाहूंगा कि यदि देश का मीडिया बिकाऊ भांड राष्ट्रद्रोही और प्रेस्टी है तो क्या हमें भारत के मीडिया को सुधारने के लिए बुल्गारिया के प्रधान मंत्री को वोट करना चाहिए ताकि वे यहां आकर मीडिया को सुधारने के लिए आवश्यक कानूनों को पास करें या हमें दिन में 72 बार मीडिया को भांड मीडिया बिकाऊ मीडिया देशद्रोही मीडिया किनारे लगाने चाहिए ताकि मीडिया के प्रायोजकों की आत्मा जाग जाएं और वह देश भक्त हो जाएं
राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखना हालांकि राज्यों का विषय है किट्टू सभी जानते हैं कि मोदी साहब की आरक्षण को लेकर नीति लूंजपुंज है और वह वक्त देख कर क्रमशः आरक्षण के समर्थक और विरोधी होने का संकेत देते रहते हैं तस्दिक के लिए आप bjp का मेंसेस तो देख सकते हैं आरक्षण पर उनका कोई पुख्ता इस सेंड नहीं है सब गड़बड़ है ताकि अवसर के अनुसार उसे बदला जा सके विधानसभा चुनाव के दौरान मोदी साहब ने खाप पंचायतों के प्रमुखों को यह संकेत दिया कि वे जाटों को आरक्षण दिए जाने का समर्थन करते हैं नतीजा हरियाणा को इतना हिंसक आंदोलन झेलना पड़ा वहां के मुख्यमंत्री खट्टर है जो कि मोदी साहब के प्रसाद पर्यंत कुर्सी पर बने हुए हैं और उनकी जिम्मेदारी है कि नागरिकों को जान माल की क्षति ना उठानी पड़े लेकिन में उठा रहे हैं ठीक है यह सब कांग्रेस का करा कराया है जैसा कि सोशल मीडिया पर बीजेपी की आईटी सेल द्वारा कहां जा रहा है लेकिन हरियाणा के नागरिकों ने कांग्रेस को नहीं बीजेपी को वोट दिया है
और सत्ता में रहकर भी यदि bjp नागरिकों और देश को कांग्रेस के ताप से नहीं बचा सकती तो उन्हें यह स्पष्ट घोषणा करनी चाहिए कि सत्ता में आने के बावजूद देश कांग्रेस ही चलेगी
कमोबेश यही हालत सभी क्षेत्रों में है महंगाई बढ़ रही है रुपया गिर रहा है सरकारी स्कूल और अस्पताल जैसे थे वैसे ही है pk जैसी फिल्में अनकट रिलीज हो रही है छोटे और बड़े दोनों पर दो पर नग्नता का स्तर बढ़ गया है धर्मांतरण जारी है गाय कट रही है मंदिरों का प्रशासन टूटता जा रहा है अब यह सभी समस्याएं कांग्रेस के समय में भी थी और आज भी है तो मोदी साहब को वोट इसलिए नहीं दिया गया था की वह कांग्रेस के ६०साल के शासन काल में 5 साल और जोड़ दें भाषण लफ्फाजी स्वच्छता अभियान खादी प्रचार और योग आदि साथ नेत्र गतिविधियां है शासन नहीं
कुल मिलाकर मेरा बिंदु यह है कि देश में जो भी कई समस्याएं हैं या विपक्ष द्वारा जो भी गड़बड़ियां फैलाई जा रही हैं उनके समाधान के लिए ही मोदी साहब को चुना गया है उन्हें इन समस्याओं को खत्म करने के लिए आवश्यक कानून बनाने चाहिए और हां यहां मैं यह बात भी दर्ज करना चाहूंगा की आरोप-प्रत्यारोप के लिए आज से राज्यसभा में बहुमत नहीं होने की बातें कहना ठीक है लेकिन यह भी सच है कि जो भी कानून मोदी साहब पास करना चाहें उन्हें संयुक्त सत्र बुलाकर पास किया जा सकता है और संयुक्त सत्र में एनडीए के पास बहुमत है और यदि कांग्रेस के नेता ज्यादा अवरोध पैदा करने का प्रयास करते हैं तो बकौल मोदी साहब कांग्रेस ने देश को ६० सालों तक लूटा ह
ै
अतः आप उनके पुराने चित्रों को सीबीआई से खुलवा कर उन्हें जेल में फेंका जा सकता है और ज्यादा दूर भी जाने की जरूरत नहीं है, रॉबर्ट वाड्रा की जमीदारी किसी से छिपी नहीं है| हरियाणा और केंद्र दोनों में बीजेपी की सरकार है|
अब ऐसी हालत में भी यदि आप द्रोहियों को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं है तो फिर दोष जनता का नहीं है| क्योंकि जनता इस देश की प्रधानमंत्री नहीं है|
No comments:
Post a Comment