Monday, May 9, 2016

ख़त

क्या ज़माना आ गया है बस्सी जी, कमिश्नर ऑफ़ दिल्ली पुलिस. आप भी लग गए देशभक्ति का प्रमाणपत्र बाटने में..?
‘एक संगठन से जरा सी असहमती क्या जता दी स्टूडेंट्स ने, आपने तो उन्हें पूरा विलेन ही बना दिया’ सर. वैसे आपको जरा उस संगठन के बारे में भी बता देना चाहूंगा,
“सर, ये RRS वो ही संगठन है जिसपर तिरंगे से लेकर संविधान तक जलाने के आरोप है”. पता नहीं आपके नज़रिये से उसपर ‘देशद्रोह’ का मामला बनता है की नहीं?
ख़ैर मैं भी क्या पुरानी बात लेकर बैठ गया. चलिए नए मुद्दों पर बात कर लेते हैं. आपकी जो वो बाईट है ना, वही सर पटियाला हॉउस में तथाकथित देशभक्तों द्वारा स्टूडेंट्स, प्रोफेसर और मीडिया के साथ मार-पीट वाले मसले पर, ‘ये मामूली सी घटना थी’. सुनकर बेहद डर गया हूं.
क्या किसी कोर्ट में पुलिस की भारी संख्या की मौजूदगी में न्याय के पुजारी वकीलों और एक विधायक द्वारा मार-पीट का मसला इतना ज़्यादा ‘मामूली’ है ? आपको नहीं पता लेकिन बता देता हूं, इस बयान को सुनने के बाद मैं रात भर सो नहीं सका कमिश्नर साहब!
मेरी आँखों में दर्द हो रहा है जगे होने की वजह से, लेकिन मैं सो नहीं पा रहा डर से. जब कोर्ट परिसर में ‘देशभक्ति’ इतनी हावी हो जाए कि सत्ता पक्ष का एक विधायक और कानून के हर नुक़्ते के बारे में जानकारी रखने वाले ‘वकील’ साहब लोग इसे हाथ में ले लें, तो भला आम इंसान चैन की नींद कैसे सो सकता है. याद रहे ये कोई आम लोग नहीं थे, ये सम्मानित पदों पर कार्य करने वाले लोग थे. जिन्होंने देशभक्ति की आड़ में कानून के साथ ‘व्यभिचार’ किया है, जिसे आप ‘मामूली’ कह कर टाल रहे हैं !
आप ये दावे के साथ जिम्मेदारी लेने को तैयार हैं, बिना फॉरेंसिक जाँच के कि, RRS के छात्र संगठन ABVP के खिलाफ़ ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ नारे लगाने के आरोप जिस वीडियो क्लिप के जरिए लगाये जा रहे हैं वो फ़र्जी है, लेकिन उस कोर्ट परिसर में मार-पीट करने वाले कानून के नुमाइंदों की पहचान कर पाने में आप नाकामयाब रहे? जो इस मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ़ केस दर्ज करना पड़ रहा है. जबकि उन तथाकथित देशभक्तों के चेहरे कैमरों में कैद हैं?
चलिए आपके एक और दावे पर बात कर लेते हैं अगर इसे सुनकर आपको बुरा लग रहा हो तो. आपका दावा है कि JNUSU प्रेसिडेंट कन्हैया कुमार नारे बाज़ी के जिम्मेदार हैं, इसलिए उन्हें आप हड़बड़ी में बिना उचित क़ानूनी प्रक्रिया अपनाए उन्हें अरेस्ट कर लेते हैं. मगर वहीँ दिल्ली के बीजेपी विधायक जो सरेआम मार-पीट करते पकडे गए हैं उनको पकड़ने में कोई जल्दबाज़ी नहीं कर पाते आप?
मेरी समझ में नहीं आ रहा सर कि कोई एक संगठन जो कि पहले गैरकानूनी कार्यों और देशद्रोही गतिविधियों में (जैसे संविधान को जलाने के आरोप ) शामिल रहा है वो एकाएक हर कहीं सही कैसे हो सकता है. उसे आप पाक-साफ होने का फटाफट क्लीनचिट पकड़ा दे रहे हैं, जबकि वहीं बाकि पक्षों की आपत्तियां आप ‘मामूली’ कह कर कैसे ख़ारिज कर देते हैं?
ख़ैर बता दूं सर अगर ‘देशभक्ति’ और ‘देशद्रोह’ के पलड़े के बीच आपका यूं ही ‘क्लीनचिट’ और ‘अपराधी’ होने का सर्टिफिकेट बाटना जारी रहा ना, तो यकीन मानिए मुझ जैसे वो मामूली लोग, जिनकी आँखों से नींद उड़ गई है, वो एक रोज़ सचमुच बग़ावत के लिए सड़क पर उतरेंगे और उस रोज़ वो शर्म से नही बल्किं गर्व से बोलेंगे “हाँ, बस्सी जी, माननीय प्रधानमंत्री जी और गृहमंत्री जी, हम वाक़ई में ‘देशद्रोही’ हैं.
आपके बयानों के ख़तरे से कांपता एक आम शहरी

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