Thursday, May 5, 2016

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, समाज के बिना व्यक्ति का कोई अस्तित्व नहीं है !

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, समाज के बिना व्यक्ति का कोई अस्तित्व नहीं है ! समाज के सहयोग के बिना कोई भी व्यक्ति अपना विकास नहीं कर सकता है ! मनुष्य के उन्नति और विकास में बहुत से लोगो का हाथ होता है ! जिन लोगों की आज कीर्ति और ख्याति देखने को मिलता है, उसके पीछे समाज के लोगों का सहयोग रहा है ! मनुष्य को प्रकृति ने ऐसा बनाया है की वह समाज से अलग रहकर जीवित नहीं रह सकता ! मनुष्य के बच्चे को जन्म लेते ही उसे विशेष सेवा सुश्रुवा की आवश्यकता होती है, जबकि पशु के बच्चे को माता के थोड़े से सहयोग मिल जाने से वह आत्मनिर्भर हो जाता है !
सामाजिक संगठन को मजबूत करने के लिए लोगो में त्याग, सेवा, समर्पण, सहयोग और समय दान की विशेष आवश्यकता पड़ती है ! समाज के संगठन को मजबूत करने के लिए लोगो को अहम् की भावना को त्याग करना होगा ! समाज में हमें छोटे-बड़े के भाव से ऊपर उठकर सोचना होगा ! वर्तमान समय में हमारे देश में प्रजातान्त्रिक शासन व्यवस्था के माध्यम से शासन चल रही है ! उसी प्रकार जिस भी व्यक्ति को समाज का नेतृत्व प्राप्त करने का अवसर प्राप्त होता है, उसके साथ कंधे से कन्धा मिलाकर सामाजिक संगठन को मजबूत करने में सहयोग देना चाहिए ! किन्तु हमारे समाज के लोगो में आपसी सहयोग की भावना का अभाव दिखाई पड़ता है ! समाज के प्रबुध्दजन और वरिष्ठजनों को इस पर चिंतन करना होगा ! समाज की एकता में ताकत होती है, यदि लकड़ी के छोटी-छोटी छडिय़ों को एक ग_ा का रूप दे दिया जाये तो किसी भी शक्तिशाली व्यक्ति को उसे तोड़ पाना संभव नहीं है ! उसी प्रकार सामाजिक बंधुओं को हमारे समाज के लोगो के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक और शैक्षणिक क्षेत्र में उन्नति और विकास के लिए तन-मन-धन से सहयोग करना चाहिए ! समाज के बहुत सरे ऐसे प्रतिभावान बच्चे जिनका एम.बी.बी.एस., आई.आई.टी., इंजीनियरिंग जैसे कोर्स में सलेक्शन हो जाने के बाद पैसा के अभाव में माता-पिता अपने बच्चे को एडमिशन नहीं करा पाते, ऐसे लोगो का सहयोग समाज के पूंजीपतियों को करना चाहिए ! मानव सेवा से बढ़कर कोई सेवा नहीं है ! हमें सेवा भाव से किसी की सेवा करना चाहिए ! हमारा समाज जिस प्रकार से शैक्षणिक दृष्टिकोण से मजबूत होता जा रहा है ! उसी गति से समाज में विवाह के समय लेन-देन बढ़ता जा रहा है ! दहेज़ मांगने की प्रवृत्ति बढ़ रही है ! जो हमारे समाज के संगठन को कमजोर बना रही है ! हमें चिंतन करना होगा यदि विवाह के समय सुसंस्कारित लड़की मिलती है तो वह दहेज लेने से कई गुना उस घर परिवार को लाभ पहुंचा सकती है ! समाज के लोगों को भी इस बात पर चिंतन करना होगा ! लड़की और लड़का में किसी प्रकार का भेद न करते हुए दोनों को बराबर शैक्षणिक विकास में माता-पिता को खर्च करना चाहिए ! समाज में आए दिन सास-बहु का झगड़ा, जिसके चलते कभी-कभी परिवार टूटने की स्थिति में आ जाती है ! ऐसी स्थिति को हमारे समाज में नहीं आने देना चाहिए ! सामाजिक संगठन की भूमिका व्यक्ति के व्यक्तित्व विकास के लिए हमेशा से रही है, हमें संगठन को और मजबूती प्रदान करना होगा।
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आज अपना रैगर समाज दिनों दिन प्रगति कर रहा। आज समाज में बहुत से संगठन काम कर रहे हंै। हर संगठन अपनी अपनी जिम्मेदारी से काम कर रहा है। पर कोई संगठन संस्था या मण्डल के मेम्बर या पदाधिकारी अपने आपको समाज से ऊपर समझते हैं तो वो उनकी बड़ी भूल है । क्योंकि है। इसलिए कोई भी संगठन हो या मण्डल हो या संस्थान हो वो अपनी जिम्मेदारी के साथ साथ समाज हित को देखते हुए काम करना चाहिए । जो भी काम आप करते हो उनकी खबर हर समाज बन्धु को होनी चाहिए । ऐसा नहीं कि आप कोई भी काम समाज का नाम लेके कर रहे हो उसकी खबर नहीं तो मेम्बरों को होती है और ना ही समाज बन्धुओं को और अगर आप समाज के लिए अच्छा काम कर रहे हो तो आपको समाज में जरूर मान सम्मान मिलेगा । और आप 10-12 जनेे मिलकर कोई काम करते हो तो आप अपने आपको समाज के ऊपर होने की भूल कर रहे हो। समाज ही सब कुछ है । समाज से बढक़र और कोई नहीं है। एवं आप समाज का कोई भी काम करते हो तो उसकी खबर हर समाज बन्धु को देनी चाहिए। जिससे आप को हर समाज बन्धु किसी न किसी प्रकार की सहायता कर सके । और समाज के द्वारा दिए हुए सहयोग का लेन देन साफ सुथरा होना चाहिए । आपके काम की तारीफ आप को नहीं करनी पड़ेगी । आपके काम की तारीफ समाज खुद करेगा। क्योंकि आप नहीं आपका काम बोलेगा। ….
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कोशिश चंद महीनों की लेकिन टीस थी कई सालों की। पत्रकारिता करते हुए  20-22 साल हो चुके हैं। दैनिक भास्कर राजस्थान पत्रिका दैनिक नवज्योति जैसे बड़े अखबारों में काम किया। पत्रिका में तो एक दशक से ज्यादा वक्त तक डेस्क इंचार्ज रहा। निष्पक्ष तरीके से हर छोटे बड़े समाज को अपनी कलम से सम्मान दिया।
मगर अपने समाज के बारे में सोचता तो पाता कि इस समाज के लिए शायद बड़े अखबार वालों के पास स्याही कम है।
हर साल महज दो-तीन ही ऐसे मौके आते हैं जब नामदेव समाज हर बड़े अखबार से उम्मीद करता है कि उसके कार्यक्रमों को दूसरे बड़े समाजों की तरह ही कवरेज दिया जाए। इसके लिए रिपोर्टर्स फोटोग्रफेर्स की मान मनोव्वल की जाती है। सम्पादकों की देहरी धोकी जाती है मगर जब अगले दिन अखबार में अपनी खबर ढूंढी जाती है तो धोखे का अहसास होता है।

पूरे साल अखबार खरीदने वाले नामदेव बन्धु अपनी ही खबर अखबार में नहीं पाकर सिवाय झेंपने के कुछ नहीं कर पाते। मासूमियत इतनी कि अगर चंद लाइनों की खबर छप भी गयी तो यूं ख़ुशी होती है मानो सरकारी गजट में नाम दर्ज हो गया। फिर उस अखबार की कटिंग काट कर नोट से भी ज्यादा सम्भाल कर रखते हैं। फेसबुक और व्हाट्स एप पर डालते हैं। कुल मिलाकर अपनी खबर छपवाने के लिए तरसते हैं।
चूंकि मैं लम्बे समय से मीडिया से जूडा हूँ इसलिए ये हकीकत करीब से देखी है। मैं जिस भी अखबार में रहा जितना हो सका नामदेव समाज को उसके हिस्से का स्पेस दिलाया मगर दूसरे अखबारों में कवरेज नहीं पाकर दुःख होता। क्या हमारा समाज इस लायक भी नहीं कि उसे साल में दो-एक बार भी कवरेज मिल सके। दूसरे बड़े समाजों के फंक्शन में बकायदा रिपोर्टर फोटोग्राफर की ड्यूटी लगती है जबकि नामदेव समाज का तैयार प्रेस नोट आने के बाद भी तवज्जो नहीं दी जाती। इस पीड़ा को बरसों से महसूस किया है।
इसी बीच प्रिंट मीडिया के साथ वेब मीडिया समझने का अवसर मिला । राजस्थान पत्रिका के हैड क्वाटर में वेबसाइट सम्भालने का जिम्मा मिला। रात-रात भर जागकर कंटेंट्स तैयार किये।
साथियों और कुछ समाज बंधुओं से चर्चा हुई कि समाज के लिए क्या किया जा सकता है
नतीजा है ‘नामदेव न्यूज़ डॉट कॉम’ वेबसाइट जो पूरी तरह समाज को समर्पित है।
इस बार फिर उदाहरण  सामने हैं। बसंत पंचमी पर हर गाँव कस्बे और शहर में नामदेव समाज ने सामाजिक उत्सव मनाया मगर अगले दिन का कोई सा भी अखबार उठाकर देख लीजिये। क्या आप-हम संतुष्ट हैं कवरेज से। बात अजमेर की करें तो यहाँ केवल दैनिक नवज्योति ने कलर फोटो के साथ तीन कॉलम समाचार छापा। इसके लिए प्रधान सम्पादक श्री दीनबन्धु चौधरी जी का आभार। एक अन्य अखबार ने दूसरी संस्थाओं के समाचार में नामदेव समाज का समाचार जोड़ दिया जो आसानी से नजर नहीं आता। इनके अलावा एक बड़े अखबार ने तो एक लाइन भी छापना मुनासिब नहीं समझा। यही स्थिति दूसरी जगहों की रही। कहीं सार समाचार के बीच नामदेव समाज की खबर लगा दी। कहीं खबर ही नहीं छपी गई।
मन फिर दुखी हुआ मगर तसल्ली हुई कि नामदेव समाज का मेगा कवरेज देने के लिए हम खुद सक्षम हैं। हमने ऐसा ही किया और कुछ ही घंटों में मेगा कवरेज विश्वभर में घर घर तक पहुंचा दिया नामदेव न्यूज़ डॉट कॉम के माध्यम से।
बरसों तक जो टीस मन में थी वो कुछ नया करने की प्रेरणा देने के लिए काफी थी।  हमें जिस भी माध्यम से बसंत पंचमी कार्यक्रम के फोटो आदि मिले हमने समाचार बनाकर प्रकाशित कर दिया। कब तक हम वहां रिरियाते रहेंगे जहाँ हमें सम्मान नहीं मिलता? हमें अपने ही माध्यम को इतना प्रचलन में लाना है कि किसी दूसरे के यहाँ अनुनय विनय करने की जरूरत ही नहीं रहे।

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