Sunday, May 15, 2016

कुछ प्रतिक्रियायें : विवाह समारोह का निमंत्रण मिलने के बाद

विवाह समारोह का निमंत्रण मिलने के बाद मित्रो, रिश्तेदारो और परिचितो की प्रतिक्रियायों के कुछ उदाहरण

1.बास की लडकी या परिवार मे किसी की विवाह पत्रिका मिलने के बाद उसका मातहत
” साला विवाह मे नही गया तो प्रमोशन या वेतन वृद्धी का मौका हाथ से जायेगा, यदि गया तो कम से कम 1000 रू का चुना लगेगा. ऐसे भी आज 25 तारीख है. पता नही कौन उधार देगा ?”

2.किसी मित्र की विवाह पत्रिका मिलने पर विवाहित मित्र
” कमाने की अकल तो आयी नही है लेकिन घोडे पर चढने की जल्दी है. बीवी को खिलायेगा क्या ?”

3.किसी मित्र की विवाह पत्रिका मिलने पर अविवाहित मित्र
” लो एक और गया, मेरा नंबर कब आयेगा ?”

4. किसी बुजुर्ग मित्र के पुत्र के विवाह पत्रिका मिलने पर बुजुर्गवार
“ बच्चों ने आपस मे “लव मैरीज” तय करली और बाप को मालुम नही|”

5.अचनाक कीसी मित्र(कन्या) की विवाह पत्रिका मिलने पर कालेजवीर
” जया गयी तो क्या हुआ जुही बचकर जायेगी कहां ? अभी विवाह मंडप मे उसको पटाता हुं !”

6.कालोनी मे शर्मा आंटी की लडकी की विवाह पत्रिका मिलने पर सिन्हा आंटी
” ए जी सुनते हो ? शर्मा जी ने हमारी छुटकी की विवाह पर क्या ‘गीफ्ट’ दिया था ?”

7.छोटे भाई की विवाह पत्रिका को निहारते हुये अविवाहीत बडा भाई
” अरे जिन्दगी मे थोडा फ्रीडम का मजा लो, शादी का क्या कभी भी कर सकते हैं. नौकरी नही है तो क्या हुवा हरा सिगनल देने लायक बडा दिल है अपने पास ”

8.बडे भाई की विवाह पत्रिका को निहारते हुये छोटा भाई
” अपना रास्ता साफ हो गया, कल ही निशा से मिलकर आगे की योजना बनाता हुं”

9. सामने वाली बिल्डींग की श्वेता और अपनी बिल्डींग के राहुल के विवाह का निमंत्रण देखते हुये शर्मा आंटी
” ये लडका इसीलिये बारबार हमारे घर आता था, अब पता चला. श्वेता तो एक्टींग एक्सपर्ट हवा ही नही लगने दी, क्या जमाना आ गया है राम राम”

10. अपनी मौसेरी बहन की विवाह पत्रिका देखते हुये
” ये लडका कालेज मे तो मेरे आगे पिछे घुमता था ! लेकिन पिठ पिछे क्या गुल खिल रहा है ये समझने मे थोडी देर लग गयी।”

अंत मे

11. किसी परिचित कन्या की विवाह पत्रिका मिलने पर हम
“ये भी गयी, कोई बात नही. जिन्दगी मे तीन चिजो के पिछे नही भागना चाहिये बस , ट्रेन और लडकी, एक गयी तो दूसरी आती है.”

हमारे इस उदगार पर राजेश
“अबे तेरी तो आखरी बस भी छुटेगी, और तु पैदल जायेगा”

12. किसी परिचित कन्या की विवाह पत्रिका मिलने पर बालाजी
“जो नाम अंदर होना चाहिये था, वो बाहर हो गया” [ मतलब जो नाम वर की जगह होना चाहिये था लिफाफे के उपर निमंत्रीत मे हो गया”]

13. किसी मित्र की विवाह पत्रिका मिलने पर हम
“साला बडा आदर्शवादी बनता था, पता करना पडेगा कितने मे बिका|”
“नौकरी मिले जुम्मा जुम्मा ६ महिने नही हुये और चले शादी करने|”
“कल तक तो शादी के नाम से बिदक रहा था, लडकी का चेहरा देखा और फिसल पडा|”
“अबे इसे कौन लडकी देने तैयार हो गया ?, जरूर साले ने ससुराल वालो को कोई बडी गोली दी होगी !”

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