Thursday, May 5, 2016

२१ वीं सदी में रैगर समाज कैसा होगा यह यह सोचना चिंतनशील प्राणी की कर्तव्य है

२१ वीं सदी में रैगर समाज कैसा होगा यह यह सोचना चिंतनशील प्राणी की कर्तव्य है . भविष्य कैसा होगा , यह बहुत कुछ वर्तमान की कार्यप्रणाली पर निर्भर करता है . हम कैसा भविष्य चाहते हैं यह हमारे आज के विचार और कार्य पर निर्भर करेंगे. विश्व में अनेक धर्म ,पंथ , मज़हब और जाती समुदाय के लोग निवास करते हैं, उन्ही मानव समुदाय में एक " रैगर समाज" है . हर समाज उन्नति चाहता है . अन्य समाज के लोग एकता , संगठन , साहस और पराक्रम के बाल पर हमसे आगे है. रैगर समाज का पिछड़ापन व्रण व्यवस्था की देन है . आज उन्नति के 70 वर्ष हो गये फिर भी समाज ने अपेक्षित प्रगती नही की है . आपसी फुट और टाँग खिचौव्वल नीति, नि:स्वार्थ समाज सेवको की कमी इसके लिए उत्तर दाई कारण हैं . किंतु २१ वीं सदी में यह सब कुछ नहीं होना चाहिए . यह सदी जाती विहीन , वर्ग विहीन , समता मूलक मानव समाज की सारांचना की सदी हो . परम पूज्य धर्मगुरु स्वामी ज्ञान स्वरुप महाराज, स्वामी आत्माराम लक्ष्य तथा बाबा साहब अंबेडकर की कल्पना भी यही है . रैगर समाज सामाजिक परिवर्तन की धुरी बने , यह उत्तरदायित्व रैगर कर्मचारियों , अधिकारियों तथा बुध्धिजिवियोका है . २१ वी सदी में रैगर समाज अग्रिम पंक्ति मे हो . सामाजिक पिछड़ापन दूर करने के लिए योजनाबध्ध तथा समयबध्ध रचनात्मक कार्य क्रमों की रूपरेखा बनाए जिससे समाज में चारों ओर चाहूमूंखी विकास का मार्ग प्रशस्थ हो .
                  रैगर समाज आर्थिक , सामाजिक , राजनैतिक शिक्षा एवं दृष्टि से अभी भी पिछड़ा हुआ है, इस पिछड़े पन को दूर कर सम्मान जनक स्थान में में पहुँचने के लिए हमें निम्न सार्थक कदम उठाने होंगे
01 . सांस्कृतिक रक्षा की :- आज अपने समाज की संस्कृति का लोग पर संस्कृति ग्रहण कर रहें है अतः अपनी संस्कृति को बचाये रखने के लिए एक पाठशाला की आवश्यकता है जहाँ समाज के हर बुजुर्ग व बच्चे का कर्तव्य हो की वह वहां जाकर अपनी संस्कृति, रीती ,नीति , के बारे में जाने तथा उनका अनुसरण कर समाज की संस्कृति को अन्य समाज से सुदृढ़ बनाये ताकि कोई उंगली न उठाये।
02 - सामाजिक कोष की स्थापना :-  समाज के उत्थान और विकास के लिए एक कोष का होना अत्यंत आवश्यकता  है।  यह कोष समाज द्वारा समाज के लोगों के लिए हो।  उस कोष से सामाजिक भवन निर्माण , विद्यालय निर्माण , बेरोजगारों को रोजगार हेतु कम दरों पर ऋण , कमजोर वर्ग को सहायता , जैसे पढ़ाई , लिखाई , शादी व्याह आदि , प्रतिभा प्रोत्साहन , साहित्य प्रकाशन , सांस्कृतिक व सामाजिक सम्मलेन , धार्मिक उत्त्सव व कार्यक्रम का आयोजन तथा अन्य सामाजिक कार्य जैसे नेत्र शिविर , विकलांगो को सहायता इत्यादि रचनात्मक कार्यक्रम चलाये जा सके।
03 - समारोह स्थल का निर्माण :- आज जनसँख्या बढ़ने के साथ -साथ घर में शादी  व्याह और अन्य समारोह के लिए जगह का अभाव होता है।  अतः समाज के लिए एक जैसी जगह या समारोह स्थल का निर्माण कर विवाह  व अन्य समारोह के बिगड़ते स्वरुप को बचाया जा सकता है।  साथ ही विवाह हेतु विवाह मंच का निर्माण कर समाज में हो रहे रहे अंतर्जातीय विवाह द्वारा घुसपैठ पर रोक लगाया जा सकता। सतनामी समाज में विवाह को प्रधानता देने की नितांत  आवश्यकता है।
04 - समाज संचालन समिति का निर्माण :- समाज की संस्कृति की रक्षा हेतु योग्य एवं प्रबुद्ध व्यक्तियों का चयन कर एक सभा संचालन समिति बनाये जाने की आवश्यकता है।  इस समिति का कार्यकाल तीन वर्ष का हो।
05 - समाज संचालन नियम :- समाज को सुदृढ़ रूप देने के लिए सामाजिक कानून , सविधान निर्माण (सामाजिक सविधान ) की आवश्यकता है जिससे समाज को सूत्र में बाँधा जा सके , जो 95 प्रतिशत लोगो द्वारा मान्य हो जिसे शख्ती  से लागु किया जा सके।  यह कार्य अधिकारीयों , कर्मचारियों तथा बुद्धिजीवियों का है जिनके हाँथ समाज विकास की कुंजी है।
06 - साहित्य शिविर का आयोजन :- हमारे समाज (रैगर समाज) में साहित्य के प्रति अरुचि दिखाई देती है जबकि संस्कृति की रक्षा सामाजिक एकता एवं अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए समाज की पत्र  पत्रिका महत्वपूर्ण भूमिका निभा  सकती है।  ईष्र्या - जलन व आपसी महत्वकांछा के बुखार से पीड़ित होकर समाज के साहित्य और पत्रिकाओ को न तो हम पढ़ना चाहते है और न ही उसे उसे आर्थिक सहयोग देना चाहते है।  आज की अनिवार्य जरूरत है की समाज की पत्रिका और साहित्य को सर्वोपरि मानकर भरपूर सहयोग देना चाहिए , ताकि समाज के  होनहार साहित्यकारों को प्रशिक्षण किया जा सके।  जब सब कुछ मिट जायेगा तब साहित्य ही हमारे समाज को जीवित रखेगा।  अतः वर्ष में 02 बार साहित्य शिविर का आयोजन होना चाहिए।
07 - ज्ञान पाठशाला :- पुस्तकीय ज्ञान के लिए अपने समाज द्वारा संचालित पुस्तकालय , पाठशाला होना
चाहिए  जन्हाँ उचित व सही ढंग से बच्चों को शिक्षा मिल सके।
08 - व्यावसायिक पाठ्यक्रम - समाज के पढ़े लिखे बेरोजगार नवयुवक - युवतियों को सही मार्ग दर्शन देने के लिए एक व्यावसायिक पाठशाला हो जहाँ नौकरी व्यवसाय तथा अन्य कार्य के लिए प्रशिक्षण देना , प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु अच्छा प्रशिक्षण देने आधुनिक ज्ञान विज्ञान तथा तकनिकी जानकारी उपलब्ध कराये ताकि समाज का व्यक्ति उच्च से उच्च पद पर व सभी क्षेत्रों में पदारूढ़ हो सके।
09 - कृषि कार्यशाला :- अपने कृषक बंधुओं के लिए उन्नत बीज , खाद , रासायनिक कीटनाशक दवाइयों का ज्ञान एवं सही उपयोग , भूमि सुधार , खेती , की नई तकनीक की जानकारी देवें ताकि उन्हें अच्छी फसल का लाभ मिल सके  इसलिए समय समय पर कार्यशाला की आयोजन कराने की आवश्यकता है।
10 - जनस्वास्थ्य :- रैगर समाज के कमजोर , मध्यम व उच्च वर्ग के व्यक्तियों के लिए समाज द्वारा अपने डाक्टरों व समाज के द्वारा स्वयं संचालित अस्पताल हो ताकि बड़ी से बड़ी बीमारी का इलाज सहज रूप से भाईचारे हो जाये एवं लोगों के ऊपर आर्थिक भार न पड़े।
11- जनसंपर्क एवं जन सलाहकार समिति का गठन :- जन संपर्क एवं सलाहकार समिति जैसी संस्था का निर्माण किया जाना चाहिए। 
12- रैगर धर्मशाला भवन का निर्माण :- बड़े शहरों जैसे जयपुर , बिकानर, रीन्गस , दिल्ली जैसे नगरों में रैगर समाज द्वारा द्वारा धर्मशाला भवन का निर्माण किया जाना इसकी बहुत ही आवश्यकता है. इससे समाज की नौकरी व्यवसाय की खोज पर गांव व शहर आने वाले युवकों को आश्रम मिलेगा एवं समाज के प्रति विश्वाश बढेगा. वह समाज के लिए आगे कुछ करने के लिए समर्पित होगा .
13- परम पूज्य धर्मगुरु स्वामी ज्ञान स्वरुप महाराज, स्वामी आत्माराम लक्ष्य तथा बाबा साहब अंबेडकर के कदम तले सम्पूर्ण रैगरो को संगठित होकर एकता के सूत्र में बंधने की नितांत आवश्यकता है .
14- आपस में एकता, सहिष्णुता , भाईचारा , दया , सहयोग , प्रेम त्याग जैसी मानवीय भावनावों की संचार की आवश्यकता है .
15- अपनी आन बन शान को बनाये रखना तथा सतनाम पर कोई आंच नहीं आने देना चाहिए .
16- धार्मिकता का प्रचार तथा एकता के सूत्र में बाँधने के लिए राजगुरुओ, राजमहंतों , को समाज का दौरा कर सामाजिक ब्यवस्था का अवलोकन करना चाहिए |
18- परम पूज्य धर्मगुरु स्वामी ज्ञान स्वरुप महाराज, स्वामी आत्माराम लक्ष्य तथा बाबा साहब अंबेडकर के बैनर तले ऐसे मंच का निर्माण करना जहाँ बच्चे बूढ़े , युवक - युवतियां सभी का स्वतंत्रता पूर्वक विचारों की अभिव्यक्ति के साथ 'स्नेह मिलन' हो ताकि अपनत्व की भावना गाढ़ी हो सके तथा बीच की दूरियां ख़त्म हो |
19- समाज के पेशेवर डाक्टरों , वकीलों , और शिक्षकों के द्वारा समाज के कल्याण हेतु 'सेवा सदन' की स्थापना होना चाहिए |
20- बच्चों की शिक्षा के लिए जागरूक व्यक्ति द्वारा माता - पिता को प्रोत्साहित करना चाहिए तथा निर्धन बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था को लिए समितियां गठित करना चाहिए |
21-  नारियों को समता का अधिकार , विचारों की स्वतंत्रता तथा प्रगति के स्वर्णिम अवसर प्रदान करना किया जाना चाहिए |
22- समाज में ब्याप्त अंधविश्वास , रूढ़िवादिता , अज्ञानता , बालविवाह , बहुविवाह, नारी प्रताड़ना , दहेज़ , आपसी कलह आदि को नाश करने हेतु सामाजिक नियम बनाकर कठोरता से पालन किया जाना चाहिए |
23- नारियों के लिए सिलाई - कढाई , कुटीर उद्योग जैसी छुट पुट कार्यों को करने हेतु स्वतंत्रता प्रदान करना तथा नारियों को सम्मान जनक स्थिति में लाने हेतु छात्रों को शिक्षा हेतु प्रेरित करना चाहिए |
24- किशोर किशोरियों को मनोवैज्ञानिक ढंग से उनके भावनाओं के अनुरूप शिक्षा देना चाहिए |
25- सम्पन्न वर्गों को एक ऐसी संस्था का निर्माण करना चाहिए जिसमें अनेक सजातीय भाईय्यों को काम मिल सके |
26- समाज की इकाई परिवार है अतः परिवार को मजबूत और सशक्त बनाना चहिये |
27- राजनीति में हिस्सा लेकर समाज के उत्थान के लिए कार्य करने हेतु प्रसारित रहना चाहिए |
28- खर्चीली न्यायलय में न फंसकर विवादों को समाज में ही शांति पूर्ण ढंग से निष्पक्ष न्याय कर विशवास पैदा करना चाहिए |

          उपर्युक्त बातों पर समाज के अधिकारीयों , कर्मचारियों एवं बुध्धिजीवियों को विचार करना है | यद्यपि काम लम्बा है , समय भी लगेगा 21 वी सदी में यह कार्य पूरा करना लक्ष्य होना चाहिए चाहिए ताकि समाज समय के विकाश के साथ आआगे बढ़ सके | यदि ऐसे रचनात्मक कार्य करने को दृढ़तापूर्वक ठान ले और अपने स्तर पर क्रियान्वित करे तों वह दिन दूर नहीं जब रैगर समाज बुलंदियों के शिखर पर होगा तथा सभी मुक्त कंठ से सराहेंगे तभी रैगर समाज अपने लक्ष्य को पाकर वास्तविक हक़दार बन सकेगा |

आधुनिक युग मे रैगरों का भावी लक्ष्य और और प्रयास जिसकी समाज को आवश्यकता है

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