Monday, May 2, 2016

पुरस्‍कार वितरण समारोह

युवा छात्रों के साथ समय बिताने में मुझे जितनी प्रसन्‍नता होती है उससे अधिक प्रसन्‍नता किसी और चीज से मुझे नहीं मिलती है। और आप सर्वोत्‍तम में सर्वोत्‍तम, उम्‍मीद की उज्‍ज्‍वल किरणों का प्रतिनिधित्‍व करते हैं जो आने वाले वर्षों में इस देश को आगे ले जाने की राह दिखाएंगे। मैं यह केवल मंत्री के रूप में या भारत सरकार के प्रतिनिधि के रूप में नहीं कह रही हूँ, अपितु स्‍वयं मां के रूप में और इस अनोखे देश के एक नागरिक के रूप में कह रही हूँ। 

सामूहिक रूप से आप सभी उस बहुरंगी विविधता का भी प्रतिनिधित्‍व करते हैं जिसके दम पर भारत जिंदा है। आप सभी देश के भिन्‍न – भिन्‍न भागों से आए हैं, घर पर अलग – अलग भाषाएं बोलते हैं, अलग – अलग किस्‍म के भोजन ग्रहण करते हैं – फिर भी आप सभी एक साथ स्‍कूल के समान कठोर नियमों का पालन करते हैं, एक जैसा गृह कार्य करते हैं, और एक जैसी परीक्षाएं भी देते हैं। क्‍या विविधता में एकता का इससे बेहतर उदाहरण हो सकता है। 

आप सभी के यहां आने का कारण यह है कि विदेश मंत्रालय के हम लोगों ने देश के सभी केंद्रीय विद्यालयों के समक्ष एक साधारण प्रश्‍न रखा – नीति बनाना क्‍यों मायने रखती है? और हमने सात अलग – अलग क्षेत्रों से अपना उत्‍तर तैयार करने के लिए छात्रों से कहा – भारत की साफ्ट पावर; अंतर्राष्‍ट्रीय योग दिवस; भारत और संयुक्‍त राष्‍ट्र; भारत और उसके पड़ोसी; जलवायु परिवर्तन पर भारतीय दृष्टिकोणे; समकालीन विश्‍व में महात्‍मा गांधी जी प्रासंगिकता; और भारत – अफ्रीका संबंध : भविष्‍य के लिए साझेदारी।

मुझे उम्‍मीद है कि इस कवायद के माध्‍यम से हम विशाल तरीकों के बारे में सोचने के लिए छात्रों को एक्‍सपोज करने में समर्थ हुए हैं जिनमें विदेश नीति के हमारे विकल्‍प हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित करते हैं, क्‍योंकि मूल रूप में विदेश नीति राष्‍ट्र की घरेलू प्रगति के लिए अनुकूल विदेशी माहौल सृजित करने के लिए तैयार की जाती है। यदि किसी राष्‍ट्र के लिए युद्ध या आर्थिक अस्थिरता का खतरा निरंतर मौजूद होगा, तो कैसे वह प्रगति कर सकता है? 

आज भी, ऐसे अनेक लोग हैं जो घरेलू प्रगति एवं विदेशी संपर्क के बीच इस संबंध से अनभिज्ञ हैं। उदाहरण के लिए, वे पूछते हैं, कि कैसे आंध्र प्रदेश का किसान या राजस्‍थान का दुकानदार या महाराष्‍ट्र का निजी फर्म का कर्मचारी उस समय लाभांवित होगा जब हमारे प्रधानमंत्री जी किसी विदेशी नेता से हाथ मिलाएंगे? 

इसका सीधा सा उत्‍तर यह है कि हाथ मिलाना सहमति का प्रतीक है जिससे निवेश का मार्ग प्रशस्‍त होता है जिससे विकास की गति तेज होगी और नौकरियों का सृजन होगा। 

परंतु विदेश नीति निवेश एवं नौकरियों तक ही सीमित नहीं है। जैसा कि हम इस बहादुर नई शताब्‍दी में आगे बढ़ रहे हैं, यह भी उत्‍तरोत्‍तर स्‍पष्‍ट होता जा रहा है कि कल की सबसे बड़ी समस्‍याओं का समाधान राष्‍ट्रों द्वारा अकेले काम करके नहीं किया जा सकता है। मैं जब यहां बोल रही हूँ, मेरे एक सहयोगी पेरिस में हैं तथा जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से लड़ने के लिए करार करने का प्रयास कर रहे हैं, जो वैश्विक तापन के खतरों को स्‍वीकार करते हुए भारत के संपोषणीय विकास के अधिकार की रक्षा करेगा। हम हर रोज आतंकवाद के खतरे से जूझ रहे हैं जिसकी कोई सीमा नहीं होती है – हम अधिक सुरक्षित इसलिए हैं कि देश एक – दूसरे से निरंतर बातचीत करते हैं – सूचित करते हैं, सलाह देते हैं, अलर्ट करते हैं। साइबर अपराध से लेकर उच्‍च सागरों में मुक्‍त आवागमन, अंतर्राष्‍ट्रीय संस्‍थाओं में सुधार से लेकर दूर – दराज के द्वीपों में शांति स्‍थापना तक – हम कल की समस्‍याओं का समाधान तभी कर सकते हैं जब हम आज साथ मिलकर काम करेंगे। 

और हमें उन लाखों भारतीयों को नहीं भूलना चाहिए जो भारत के बाहर रहते हैं और काम करते हैं जिनको सामूहिक रूप से भारतीय डायसपोरा कहा जाता है। उनके हितों एवं सरोकारों की रक्षा करना भी हमारी सरकार के लिए एक महत्‍वपूर्ण प्राथमिकता है। और इस कारण से भी विदेश नीति मायने रखती है।

इस प्रकार, शांति के लिए वादा से लेकर महामारियों के खतरे तक, निवेश करार के नट एवं बोल्‍ट से लेकर अंतर्राष्‍ट्रीय संस्‍थाओं के पुनर्गठन तक, छात्रों के लिए विनिमय कार्यक्रम से लेकर अफ्रीका में टेली मेडिसीन कार्यक्रम तक – प्रत्‍येक हैंडसेक प्रगति के पथ पर हमें अग्रसर करने के प्रयास का प्रतिनिधित्‍व करता है – एक ऐसे इको सिस्‍टम का सृजन करने के लिए जो भारत के अपने विकास को बढ़ावा देगा और इस मार्ग में भारत के दोस्‍तों एवं साझेदारों की मदद करेगा। सीधे स्‍पष्‍टीकरणों की सरलता से आगे बढ़कर, हमारी विदेश नीति संबंधों का एक जटिल जाल बुनती है, धीरे – धीरे। इसके बगैर हमें अननुमेय अंतर्राष्‍ट्रीय प्रणाली से जूझना पड़ेगा; उसके साथ हम भविष्‍य की अज्ञात गहराइयों में कुशलता के साथ नौवहन कर सकते हैं। 

मैं आशा करती हूँ कि इस निबंध प्रतियोगिता के माध्‍यम से हम युवा छात्रों में विश्‍व के साथ अपनी भागीदारी के महत्‍व को स्‍थापित करने में समर्थ हुए हैं। इससे भी अधिक महत्‍वपूर्ण यह है कि हम आपकी नजरों से विश्‍व को देखने में समर्थ हुए हैं। 

मैं आप सभी की सफल भागीदारी तथा इस प्रतियोगिता में सर्वोत्‍तम प्रविष्ठि के रूप में आंके जाने पर आप सभी को बधाई देना चाहती हूँ। शब्‍दों के साथ आपका कौशल तथा हमारी दुनिया के बारे में आपका ज्ञान महत्‍वपूर्ण साधन हैं जिसकी इस देश को जरूरत है। आपके निबंधों ने आपकी बुद्धि की प्रखरता एवं दया भाव का पता चलता है – विश्‍व में भारत के स्‍थान के बारे में आपके संदर्शों तथा हमारी विदेश नीति का अभिप्राय क्‍या है – इस बारे में सीखने के लिए बहुत कुछ है।

मैं निबंध प्रतियोगिता में पूरे जोश से भाग लेने के लिए केंद्रीय विद्यालय संगठन तथा सभी केवीएस विद्यालयों के अधिकारियों को भी बधाई देना चाहती हूँ जिनका प्रतिनिधित्‍व यहां 25 क्षेत्रों से 25 शिक्षकों द्वारा किया गया है। मुझे बताया गया है कि प्रतियोगिता के लिए चुने गए विषयों से संबंधित अनेक कार्यकलापों का आयोजन किया गया ताकि वास्‍तविक रूप में निबंध लिखने से पूर्व छात्रों में जागरूकता एवं उत्‍सुकता का माहौल सृजित हो सके। यह प्रतियोगिता के उद्देश्‍य को ध्‍यान में रखते हुए है, अर्थात अंतर्राष्‍ट्रीय महत्‍व के मुद्दों के बारे में युवा पीढ़ी में जागरूकता पैदा करना।

आप सभी के लिए जिन्‍होंने भाग लिया है, चाहे आप जीते हों या न जीते हों, मेरा यह आग्रह है कि आप प्रतियोगिताओं में भाग लेना जारी रखें। जैसा कि गांधी जी ने आजादी की लंबी लड़ाई के दौरान बार-बार कहा – पूर्ण प्रयास पूर्ण विजय है।

जल्‍दी ही यहां से आपकी पढ़ाई पूरी हो जाएगी और उच्‍च शिक्षा संस्‍थाओं से भी आप अपनी पढ़ाई पूरी करके प्रोफेशन एवं करियर में प्रवेश करेंगे। यद्यपि आपका ज्ञान एवं कौशल अमूल्‍य होगा, आप जो सिद्धांत एवं मूल्‍य लाएंगे उससे भारत की नियति का निर्माण होगा। आप कल के बच्‍चे हैं और आप जो प्राप्‍त कर सकते हैं उसकी कोई सीमा नहीं हो सकती है। 

मेरा आप सभी निवेदन है कि सरकारी सेवा एवं विदेश नीति में करियर के बारे में विचार करें। यह शताब्‍दी एशिया की शताब्‍दी, हमारी शताब्‍दी होने वाली है। राजनीति, अर्थशास्‍त्र, व्‍यापार, सुरक्षा, प्रौद्योगिकी, शिक्षा तथा सभी अन्‍य क्षेत्रों में विश्‍व के साथ भारत की भागीदारी गहन एवं तीव्र होगी। विश्‍व में भारत के स्‍थान को परिभाषित करने का इससे बेहतर तरीका क्‍या हो सकता है कि हम अपनी विरासत एवं मूल्‍यों के दूत और विदेश में भारत के हितों के संवर्धक के रूप में काम करें? 

परंतु अंत में, आप जो भी करें, पूर्ण प्रतिबद्धता एवं समर्पण के साथ करें।

मैं आप सभी के लिए एक संदेश देना चाहूँगी जो स्‍वर्गीय राष्‍ट्रपति एपीजे अब्‍दुल कलाम युवाओं को दिया करते थे : ''अलग ढंग से सोचने का साहस करें, अन्‍वेषण करने, यात्रा करने और उन रास्‍तों पर चलने का साहस करें जिन पर अभी तक कोई नहीं चला है, असंभव को खोजने तथा समस्‍याओं पर विजय प्राप्‍त करने एवं सफल होने का साहस करें।''

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