साईटिका रोग की सरल चिकित्सा.
साईटिका रोग की सरल चिकित्सा.
-- डा.दयाराम आलोक
; 9926524852
साईटिका में होने वाला दर्द, स्याटिक नर्व के कारण होता है। यह दर्द सामान्यत: पैर
के निचले हिस्से की तरफ फैलता है। ऐसा दर्द स्याटिक नर्व में किसी प्रकार के दबाव,
सूजन या क्षति के कारण उत्पन्न होता है। इसमें चलने-उठने-बैठने तक में बहुत तकलीफ
होती है। यह दर्द अकसर लोगों में 30 से 50 वर्ष की उम्र में होता है। इसकी चिकित्सा
सर्जरी या वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति से हो सकती है।
साईटिका नर्व (नाड़ी) शरीर की सबसे लंबी नर्व होती है। यह नर्व कमर की हड्डी से गुजरकर जांघ के पिछले भाग से होती हुई पैरोँ के पिछले हिस्से मेँ जाती है। जब दर्द इसके रास्ते से होकर गुजरता है, तब ही यह साईएटिका का दर्द कहलाता है।
लक्षण
कमर के निचले हिस्से मेँ दर्द के साथ जाँघ व टांग के पिछले हिस्से मेँ दर्द।
पैरोँ मेँ सुन्नपन के साथ मांसपेशियोँ मेँ कमजोरी का अनुभव।
पंजोँ मेँ सुन्नपन व झनझनाहट।
बचाव प्रतिदिन सामान्य व्यायाम करेँ।
वजन नियंत्रण मेँ रखेँ।
पौष्टिक आहार ग्रहण करेँ।
रीढ़ की हड्डी को चलने-फिरने और उठते-बैठते समय सीधा रखेँ।
भारी वजन न उठाएं।
साईटिका की घरेलू चिकित्सा:
१) आलू का रस ३०० ग्राम नित्य २ माह तक पीने से सियाटिका रोग नियंत्रित होता है। इस उपचार का प्रभाव बढाने के लिये आलू के रस मे गाजर का रस भी मिश्रित करना चाहिये.
२) कच्ची लहसुन का उपयोग साईटिका रोग में अत्यंत गुणकारी है। २-३ लहसुन की कली सुबह -शाम पानी से निगल जावें। विटामिन बी १, तथा बी काम्प्लेक्स का नियमित प्रयोग सियाटिका रोग को काफ़ी हद तक नियंत्रित कर लेता है। भोजन में ये विटामिन हरे मटर ,पालक,कलेजी,केला,सूखे मेवे,और सोयाबीन में प्रचुरता से मिल जाता है।
३) जल चिकित्सा इस रोग में कारगर साबित हो चुकी है। एक मिनिट ठंडे पानी के फ़व्वारे के नीचे नहावें। फ़िर ३ मिनिट गरम जल के फ़व्वारे में नहावें। दूसरा तरीका यह है कि कपडे की पट्टी ठंडे जल में डुबोकर निचोडकर(कोल्ड काम्प्रेस) प्रभावित भाग पर १ मिनिट रखें फ़िर गरम जल में डुबोई सूती कपडे की पट्टी प्रभावित हिस्से पर रखे।ऐसा करने से प्रभावित हिस्से में रक्त संचार बढ जाता है। और रोगी को चेन आ जाता है।
४) लहसुन की खीर इस रोग के निवारण में महत्वपूर्ण है। १०० ग्राम दूध में ४ लहसुन की कली चाकू से बारीक काटकर डालें। इसे उबालें। उतारकर ठंडी करके पीलें। यह विधान २-३ माह तक जारी रखने से साईटिका रोग को उखाड फ़ैंकने में भरपूर मदद मिलती है। लहसुन में एन्टी ओक्सीडेन्ट तत्व होते हैं जो शरीर को स्वस्थ रखने हेतु मदद गार होते है । हरे पत्तेदार सब्जियों का भरपूर उपयोग करना चाहिये। लेकिन लहसुन में खून को पतला रखने के तत्व पाये जाते हैं अत: जिन लोगों की रक्त स्राव की प्रवृति हो वे यह उपचार अपने चिकित्सक की सलाह के बाद ही इस्तेमाल करें।
५) सरसों के तेल में लहसुन पकालें। दर्द की जगह इस तेल की मालिश करने से फ़ोरन आराम लग जाता है।
साईटिका रोग को ठीक करने में नींबू का अपना महत्व है। नींबू के रस में दो चम्मच शहद मिलाकर नियमित पीने से आशातीत लाभ होता है।
६) आहार मेँ विटामिन सी, ई, बीटा कैरोटिन (हरी सब्जियोँ व फलोँ मेँ) और कैल्शियम का सेवन उपयोगी है। कैल्शियम दूध मेँ पर्याप्त मात्रा मेँ पाया जाता है। इसी तरह कान्ड्राइटिन सल्फेट व ग्लूकोसामीन (इन पोषक तत्वोँ की गोलियाँ दवा की दुकानोँ पर उपलब्ध हैँ) का सेवन भी लाभप्रद है। वहीँ आइसोफ्लेवान (सोयाबीन मेँ मिलता है) और विटामिन बी12 (बन्दगोभी व ऐलोवेरा मेँ) आदि का पर्याप्त मात्रा मेँ प्रयोग करने से ऊतकोँ (टिश्यूज) का पुःन निर्माण होता है।
७) हरसिंगार(पारिजात) के ४० पत्ते और निर्गुंडी के ४० पत्ते एक लिटर पानी में उबालें और जब पानी पौन लिटर रह जाए तो आंच से उतारले,इसमें एक ग्राम केसर मिलाकर मिश्रण को एक बोतल में भरकर रख दें। सियाटिका की अचूक दवा तैयार है। ५० मिलि दवा सुबह और ५० मिलि शाम को पीयें। यह एक हफ़्ते का कोर्स है। जरूरत लगे तो दवा पुन: तैयार करलें। इस दवा के साथ वात विध्वंसक वटी दो-दो गोली सुबह शाम लेने से साईटिका दर्द पर शीघ्र नियंत्रण पाया जा सकता है।
८) लोह भस्म २० ग्राम+विष्तिंदुक वटी १० ग्राम+रस सिंदूर २० ग्राम+त्रिकटु चूर्ण २० ग्राम इन सबको अदरक के रस के साथ घोंटकर २५० ग्राम की गोलिया बनालें। दो-दो गोली पानी के साथ दिन में ३ बार लेते रहने से साईटिका रोग जड से समाप्त हो जाता है।
९ ) रोग उग्र होने पर रोगी को संपूर्ण विश्राम कराना चाहिये। लेकिन बाद में रोग निवारण के लिये उपयुक्त व्यायाम करते रहना जरुरी है।
१०) साईटिका रोग की सफल हर्बल चिकित्सा के लिये 98267-95656 पर संपर्क किया जा सकता है|
http://homenaturecure.blogspot.in/2010_04_01_archive.html
No comments:
Post a Comment