Monday, May 2, 2016

रिपोर्टर हो तो ऐसा

रिपोर्टिंग के नाम पर मीडिया मालिक पत्रकार की जान को जोखिम में डालने का परहेज कर सकें तो अच्छा। पत्रकार छोटा हो या बड़ा- सबकी जान बेशकीमती है। शहीद हुए या बुरी तरह पिट कर आए पत्रकार को याद करने का समय मालिकों के पास अक्सर नहीं होता।
रिपोर्टर हो तो ऐसा ……
रिपोर्टर हो तो अभिषेक उपाध्याय जैसा-अजीत अंजुम
रिपोर्टर हो तो अभिषेक उपाध्याय जैसा-अजीत अंजुम
बीते कुछ महीनों के दौरान आज पाँचवी या छठी बार मैंने अभिषेक उपाध्याय से पूछा – तुम रिपोर्टिंग के काम से लगातार दिल्ली से बाहर रहते हो , तुम्हारी बेटी और पत्नी तुम्हें कुछ कहती नहीं ?
श्रीनगर से अभिषेक ने उसी अंदाज में आज भी जवाब दिया -अरे सर …काम है तो जाना तो पड़ेगा न ? मैनेज कर लेता हूँ .
ये हमारे चैनल का रिपोर्टर अभिषेक उपाध्याय है . कल रात साढ़े बारह बजे ग्यारह दिन बाद पेरिस और कनाडा से पीएम की विदेश यात्रा को कवर करके लौटा और सुबह दस बजे की फ़्लाइट से श्रीनगर चला गया . जब वो कनाडा में था , तभी उसे कह दिया गया था कि लौटते ही कश्मीर जाना है . अब अगर चैनल की ज़रूरत के हिसाब से उसे दस -पंद्रह दिन भी कश्मीर रहना पड़े तो मैं जानता हूँ कि कोई बहुत इमर्जेंसी न हो तो वो एक बार भी
नहीं कहेगा कि बहुत दिन हो गए सर, अब दिक़्क़त हो रही है , या अब वापस बुला लीजिए . ऐसा पहले भी कई बार हुआ है कि अभिषेक दस दिन तक कश्मीर में रहा और हमें उसकी ज़रूरत बनारस में हुई तो हमने इसे कश्मीर से शाम को बुलाया और सुबह बनारस भेज दिया और वहाँ से लौटने से पहले कहीं और के लिए उसका टिकट बुक करा दिया गया . कैमरामैन बदलते रहे , शहर और असाइनमेंट बदलता रहा लेकिन अभिषेक लगातार रिपोर्टिंग के लिए यात्राएँ करता रहा . मुझे याद है दिवाली के पहले हमने बाढ़ की कवरेज के लिए उसे श्रीनगर भेजा था . कई दिन तक तमाम मुश्किल हालात में वो वहाँ 13-14 घंटे हर रोज़ काम करता रहा . इसी बीच दीवाली आ गई . मुझे चिंता हुई कि अब क्या करें . उसकी हमें वहाँ ज़रूरत भी थी . हमने दिवाली के एक दिन पहले उसे फोन किया कि क्या करें ..अगर तुम्हें रोकता हूँ तो तुम्हारी दीवाली ख़राब हो जाएगी . शायद कोई दूसरा होता तो हाँ ही कहता लेकिन उसने कहा -कोई बात नहीं सर, मैनेज कर लूंगा . मैं रूक जाऊँगा लेकिन हमने किसी तरह मैनेज किया और दीवाली की शाम उसे वापस बुला लिया . शाम को जब दिए जल रहे होगे , तब वो अपने घर पहुँचा होगा . होली के दो दिन पहले हमें होली पर किसी प्रोग्राम के लिए उसे बनारस भेजना था . मैंने फिर पूछा -अगर होली में रुकना पड़े तो ? उसने कहा -रुक जाऊँगा . लेकिन हमने होली के दिन उसे वापस बुला लिया . अब अगर ऐसा रिपोर्टर हो तो उसकी तारीफ़ तो होनी चाहिए न ?
टीवी में अपने बीस सालों के तजुरबे से मैं कह सकता हूँ कि अच्छा काम करने वाले , हर मामले की ठीक -ठीक समझ रखने वाले , अच्छी कॉपी लिखने वाले , दिन रात मेहनत करने वाले तो कई रिपोर्टर हैं लेकिन ऐसे रिपोर्टर कम हैं , जो अभिषेक की तरह बिना रुके ,बिना थके और सबसे बड़ी बात बिना शिकायत किए लगातार…लगातार काम करते रहें …इंडिया टीवी में आठ महीने के अपने अनुभव के आधार पर कह सकता हूँ कि ये लड़का बेजोड़ है . भरोसेमंद है और मेहनत के मामले में बहुतों पर भारी है . बाढ़ में बिना खाए-पिए गर्दन तक पानी में घुस -घुस तक लगातार दस दिन रिपोर्टिंग तो कई लोग कर लेते हैं लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं , जो तमाम मुश्किलों का सामना करके भी कभी शिकायत नहीं करते . एक असाइनमेंट से दूसरे असाइनमेंट पर भेजे पर कभी आनाकानी नहीं करते . कभी अपने क़द और पद के हिसाब से स्टोरी करने की बात नहीं करते . अभिषेक ऐसा ही है . अगर वो कभी शिकायत करता भी है तो एक ही कि ..अरे इतना शूट कर लिया , फ़ीड ही नहीं जा पा रही है . जिस भी असाइनमेंट पर अभिषेक होता है , हमें भरोसा रहता है कि वो बेहतर करेगा . आज तो सिर्फ़ अभिषेक की बात , अगली बार किसी की ….

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